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________________ IL ור अनेकान्त 66/4, अक्टूबर-दिसम्बर 2013 39 अभाव हो गया और कर्म भूमि का प्रारंभ चतुर्थ काल रूप में हुआ। इस समय धर्म और कर्म के अनभिज्ञ लोगों को समझाने के लिए चौदह कुलकरों की उत्पत्ति होती है। तथा १४ वें कूलकर का पुत्र प्रथम तीर्थंकर होता है। भगवान के जन्म लेने पर सौधर्म इन्द्र भगवान की आज्ञा से जिनमंदिरों का निर्माण करता है।१६ यही कर्मभूमि का काल जैनदर्शन के अनुसार मंदिर निर्माण का प्रारंभ काल कहलाया । लोक की दिशा आचार्य यतिवृषभ ने तिलोय पण्णत्ति में लोक के विस्तार के कथन में पूर्वादि दिशाओं का निर्देश दिया है- लोक की दक्षिणोत्तर चौड़ाई सर्वत्र जगत्श्रेणी ७ राजू प्रमाण है किन्तु पूर्व-पश्चिम चौड़ाई ७ राजू में कुछ कम है। अतः लोक में अधोलोक की ओर दक्षिण दिशा तथा उर्ध्व लोक की ओर उत्तर दिशा है। सौधर्म इन्द्र की दिशा की ओर दक्षिण दिशा तथा ईशान इन्द्र की ओर उत्तर दिशा जानना चाहिए । १७ - दूसरा प्रमाण तिलोयपणत्ति में प्रथम भाग में गाथा २०० के विशेषार्थ में वर्णित है कि उर्ध्वलोक में ब्रह्मस्वर्ग के समीप पूर्व दिशा के लोकान्त भाग से पश्चिम ओर एक राजू आगे जाकर लम्बायमान अ-ब रेखा खींचने पर उसकी ऊचाई ७/४ राजू होती है। अतः लोक सिद्ध शिला की ओर उत्तार भाग में है तथा अधोलोक की ओर दक्षिण भाग में है। वास्तु विद्या में दिशाओं के स्वामी एवं महत्त्व गृहस्थी में रहने वाला मानव अपनी आवश्यकता की पूर्ति घर में ही रहकर करता है। जिसमें उसके लिए घर में धर्म, अर्थ, काम पुरुषार्थ के लिए पूजा स्थल, भोजनशाला,जल संग्रहण स्थल, शौचालय, संग्रहणकक्षा, शयनकक्ष, अतिथिकक्ष, स्वागतकक्ष, वाहन स्थान, स्नानागार, अध्ययनकक्ष, आदि सुविधाएँ आवश्यक हैं। पृथ्वी पर चार दिशाएँ, चार विदिशाएँ और मध्य बिन्दु ये नौ भाग होते हैं। इन नौ भागों के नौ स्वामी हैं। पूर्व दिशा का स्वामी इन्द्र, आग्नेय दिशा का अग्नि, दक्षिण दिशा कायम, नैर्ऋति, पश्चिम दिशा का वरुण, वायव्य दिशा का वायु, उत्तर दिशा का कुबेर, ऐशान दिशा का ईशान और ब्रह्म स्थान का ब्रह्मा स्वामी है। इन आठ दिशाओं-विदिशाओं में तथा ब्रह्म स्थान की उपमा स्वर्ग में रहने
SR No.538066
Book TitleAnekant 2013 Book 66 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2013
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size7 MB
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