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________________ अनेकान्त 66/4, अक्टूबर-दिसम्बर 2013 ____ इसी प्रकार, मध्यकालीन भारतीय सामाजिक इतिहास में से यदि कर्नाटक की यशस्विनी श्राविकाओं के इतिहास को उपेक्षित कर दिया जाए, तो भारत का सामाजिक इतिहास निश्चय ही विकलांग हो जाएगा। विदुषी कवियित्री कन्ती देवी कवियित्री कन्ती-देवी (सन् के ११४० के लगभग) उन विदुषी लेखिकाओं में से है, जिनके साहित्य एवं समाज के क्षेत्र में बहुआयामी कार्य तो किये, किन्तु यश की कामना उसने कभी नहीं की।जो कुछ भी कार्य उसने किये, सब कुछ निस्पृह-भाव से। कन्नड़ महाकवि बाहुबली (सन् १५६०) ने अपने 'नागकुमार-चरित' में उसकी दैवी-प्रतिभा तथा ओजस्वी व्यक्ति की चर्चा की है और बतलाया है कि वह द्वार-समुद्र (दोर-समुद्र) के राजा बल्लाल द्वितीय की विद्वत्सभा की सम्मानित कवियित्री थी।बाहुबली ने उसके लिये विद्वत्सभा की मंगल-लक्ष्मी,शुभगुणचरिता, अभिनव-वाग्देवी जैसी अनेक प्रशस्तियों से सम्मानित कर उसकी गुण-गरिमा की प्रशंसा की है। इन संदर्भो से यह स्पष्ट है कि कन्ती उक्त बल्लाराय की राज्य-सभा की गुण-गरिष्ठा सदस्या थी। ___ महाकवि देवचन्द्र ने अपनी राजावलिकथे' में कन्ती विषयक एक रोचक घटना का चित्रण किया है। उसके अनुसार दोरराय ने दोरसमुद्र नाम के एक विशाल जलाशयका निर्माण कराया तथा एक ब्राह्मणकुलीन धर्मचन्द्र को अपने मंत्री के पद पर नियुक्त कर लिया था। उस मंत्री का पुत्र वहीं शिक्षक का कार्य करने लगा। उसकी विशेषता यह थी कि वह ज्योतिष्मती नामकी एक विशिष्ट तैलौषधि का निर्माण करता था,जो बुद्धिवर्धक थी।वह मन्दबुद्धि वालों की बुद्धि बढ़ाने के लिये एक खुराक में यद्यपि केवल आधी-आधी बूंद ही देता था, लेकिन लोग उसका साक्षात् प्रभाव देखकर आश्चर्यचकित कर जाते थे। ___ कन्तीदेवी भी उस औषधि का सेवन करती थी। एक दिन अवसर पाकर तत्काल ही तीव्र-बुद्धिमती बनने के उद्देश्य से उसने एक बार में उस दवा का अधिक मात्रा में पान कर लिया।अधिक मात्रा हो जाने के कारण उसके शरीर में इतनी दाह उत्पन्न हुई कि उसे शान्त करने के लिए वह दौड़कर कुएँ में कूद पड़ी।कुआँ अधिक गहरा न था।अतः वह उसी में खड़ी रहीं। उसी समय उसमें कवित्व-शक्ति का प्रस्फुरण हुआ और तार-स्वर से वह स्वनिर्मित कविताओं का पाठ करने लगी। उसकी कविताएँ सुनकर सभी प्रसन्न हो उठे।
SR No.538066
Book TitleAnekant 2013 Book 66 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2013
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size7 MB
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