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________________ 88 अनेकान्त 65/2, अप्रैल-जून 2012 मंदिर में स्थित मूर्ति बहुत ही चमत्कारी मानी जाती है। यह तोरण भी नवनिर्मित तोरण द्वार ही है। यह तोरण दीवार में ही सफेद संगमरमर के पत्थर को दीवार में ही जोड़कर इस तारेण का निर्माण किया गया है। यह तोरण मुख्यतः अलंकरण के हेतु ही बनाया गया है तथा यह तोरण साधारण इलिकाकार तोरण है। तोरण का स्तम्भ मुगलकाल प्रभावित जान पड़ता है। इस स्तम्भ के नीचे भाग में उल्टा पद्मदल उत्कीर्ण है, जिसके ऊपर चौड़ा पद्मदल उत्कीर्ण है। जिसके ऊपर मुगलकालीन समय जैसे फूल उत्कीर्ण किये गये हैं। तोरण में अलंकरण के तीन स्तर हैं। निचले स्तर में पद्मदल को एक के बाद एक व्यवस्थित किया गया है। मध्यभाग में छोटे-छोटे चक्रों में तीन पत्तियों की पद्मकली को उत्कीर्ण किया गया है। ऊपरी भाग में पतली सी रेखा में दो कमल की पंखुड़ियां बनाई गई हैं जिस स्थान पर दो वलय मिलते हैं उस स्थान पर एक चौकोर चौकी है। जिसके नीचे घंटिका बनाई गई हैं। तोरण द्वार आधे-आधे बनाये गये हैं जो कि द्वार चौखट से मिल जाते हैं तथा वहीं पर खत्म हो जाते हैं। द्वार चौखट के स्तम्भ बहुत ही अलंकृत हैं जिस पर मोर, पुष्प, पत्तियों से अलंकरण किया गया है तथा गुप्तकालीन यक्षों की मूर्तियां भी निर्मित की गई हैं। प्रवेश द्वार के ऊपर सफेद संगमरमर से पद्मासन पर विराजित एक गजलक्ष्मी की मूर्ति रखी गई है। ७. महावीर जैन मंदिर, दानीगेट - इस मंदिर का तोरण भी नवनिर्मित है। प्रवेश द्वार की चौखट के ऊपर ही आठ प्रकार के प्रतीक चिन्ह आठ खांचों में बनाये गये हैं जो कि द्वार चौखट के ऊपर एक आड़ी पट्टी के रूप में दिखाई देते हैं। इन चिन्हों में क्रमशः स्वस्तिक, पूर्ण खिला कमल, पूर्णधट, जल मीन, सिंहासन व दर्पण हैं ये सभी जैन प्रतीक चिन्ह हैं। ___ इस पट्टी के ऊपर दोनों तरफ १-१ मकर मुख बनाया गया है जिसमें से साधारण तोरण को निकलते हुए बताया गया है। तोरण द्वार से अलंकरण ५ स्तरों पर हुआ है। निचले स्तर पर पद्मदल को नीचे की ओर लयात्मक ढंग से व्यवस्थित किया गया है जबकि दूसरे स्तर में पद्मदल को ऊपर की ओर व्यवस्थित किया है। मध्य स्तर में अलंकरण सामान्य है। एक चतुष्कोण तथा एक गोल वृत्त जिसका केन्द्रबिन्दु मध्य में हो एक के बाद एक व्यवस्थित किये गये हैं। चौथा व पांचवां स्तर प्रथम व द्वितीय स्तर के समान ही है। जहां दो वक्रों को मिलन स्थान है वहां पर एक चौकोर छोटी चौकी बनाई गई है, जिस पर तीन स्तरों में अलंकरण है। प्रवेश द्वार के स्तम्भों का अलंकरण सात भागों में सप्तशाखाओं में किया गया है। नीचे के भाग में गुप्तशैली में एक यक्षिणी की मूर्ति निर्मित की गई है। मूर्ति का अलंकरण गुप्तकालीन मूर्तियों जैसा है। ८. आदीश्वर जैन श्वेताम्बर तीर्थ, नदी पार - यह तोरण रथिका के आकार का है। इस तोरण का निर्माण संगमरमर से किया गया है। स्तम्भ नीचे से षट्कोणीय है तथा ऊपरी भाग में अष्टकोणीय है। चौकी को अष्टकोणीय बनाया गया है जिसमें कि चार पंखुड़ियों वाले फूलों से अलंकरण किया गया है। चार तरफ
SR No.538065
Book TitleAnekant 2012 Book 65 Ank 02 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2012
Total Pages288
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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