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________________ उज्जयिनी के मंदिरों में सजीले तोरण द्वारों का ऐतिहासिक परिचय अलंकरण कम चौड़ा व चौकोर खांचों को बनाकर किया गया है। तोरण के निचले क्रम में अलंकरण ८ कोणों वाला है। २ कोणों के मध्य में ऊपर से नीचे की ओर अधखिला हुआ कमल का पुष्प बनाया गया है। उसके ऊपर या तोरण के उद्गम स्थान पर चारों तरफ घंटिकाओं की आकृतियाँ बनाई गई हैं। आगे की ओर इस घंटिका को आधार मानकर एक अलंकृत धरातल बनाकर एक एक नारी प्रतिमा बनाई गई है। दाहिनी ओर की नारी प्रतिमा हाथ में वेणु लिये हुए उसे बजाते हुए बनायी गई है, जबकि बाई ओर की नारी आकृति हाथ में मृदंग लिये हुए उसे बजाती हुई अंकित की गई है। तोरण ऊपरी भाग के स्तम्भ पर चौड़ाई बढ़ गई है तथा अधखिली कमल पत्तियों से एक वक्र का अलंकरण किया गया है। २. श्री अजितनाथ जैन मंदिर, सराफा - इस मंदिर का तोरण वर्ष २००३ में स्थापित हुआ है। दूर-दूर से आए कारीगरों ने इस प्राचीन मंदिर में सुन्दर व सजीला तोरण स्थापित किया है। यह मंदिर ८०-९० साल पुराना है। हाल ही में स्थापित इस तोरण के ऊपर दूसरी मंजिल पर कई हवादार झरोखे बनाये गये हैं जिनमें स्थित अलंकरण बड़ा ही लुभावना है। लाल पत्थर से बने इस तोरण द्वार पर बारीक अलंकरण हुआ है साथ ही छत पर भी सुन्दर कमल के फूलों की आकृतियाँ उकेरी गई हैं। ___ मंदिर के द्वार में अलंकृत तीन तोरण हैं जिनमें मध्य का तोरण द्वार बड़ा व मुख्य है जबकि दोनों आसपास के तोरण छोटे हैं। यह तोरण त्रिरथिका, द्विइलिकाकार है। इसे वलितोदरा तोरण भी कहते हैं। तोरण के दोनों स्तम्भ अलंकृत है। स्तम्भ अष्टकोणीय है। स्तम्भ का नीचे का भाग षट्कोणीय है, जिस पर थोड़ा-थोड़ा अलंकरण बना हुआ है। स्तम्भ के जंघ वाले भाग में ३ गोलाकार अलंकरण है। नीचे वाले वृत्त के अलंकरण में अष्टकोणीय भागों में प्रत्येक भाग में एक-एक फूल उत्कीर्ण किया गया है। ऊपर वाले अलंकरण में कमल को (अधखिले कमल) उत्कीर्ण किया गया है। तीसरे वाले वृत्त में नीचे की ओर झालर के रूप में अलंकरण किया गया है। प्रत्येक वृत्त के बीच में अधखिला हुआ कमल उत्कीर्ण किया गया है। जिसके बीच लटकी हुई घंटियां उत्कीर्ण की गई हैं। स्तम्भ के मध्य भाग में षट्कोणीय कमल बनाया गया है। जिसके ऊपरी भाग में छोटे-छोटे भाग में १-१ फूल अलंकृत किया गया है। इसके ऊपर चौकी का भाग साधारण है। जिसमें चारों दिशाओं में ४ घंटियां अलंकृत हैं जिसमें ये तोरण निकलता हुआ दर्शाया गया है। चौकी के उर्ध्वभाग में छोटे छोटे भागों में स्तम्भ को काटकर उसे कोणीय बनाया गया है। तोरण - इस तोरण में अलंकरण बहुत ही सुन्दर व बारीक है। अलंकरण ३ स्तर में है। निचले स्तर में एक-एक कमल की पत्ती को उकेरा गया है। मध्य भाग में छोटे चक्र बनाये गये हैं, जिनमें आधीखिली हुई कमल की कली को बनाया गया है। ऊपरी स्तर व निचला स्तर एक समान है। प्रथम वलय (घुमाव) में २-२ घंटिकाएं हैं जिनके बीच में १-१ वलय है घंटि के ऊपर भागों में चौकी चौकोर है चौकी के ऊपर अलंकरण स्तम्भ के अलंकरण जैसा ही है, जिनको छोटे-छोटे भागों में विभाजित करके उसके अंदर १-१ फूल उत्कीर्ण किया गया है। जिसमें चार पत्तियों वाला फूल बनाया गया है।
SR No.538065
Book TitleAnekant 2012 Book 65 Ank 02 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2012
Total Pages288
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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