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________________ अनेकान्त 65/2, अप्रैल-जून 2012 है जिसमें यह हवाला है कि भण्डारी गौत्र के किसी नृपति की पत्नि संसारदेवी (रानी) के पुत्र (राजकुमार) वीरम ने जनपुण्यार्थ इस जैन तीर्थकर मूर्ति की प्रतिष्ठा खरतरगच्छ से सम्बद्ध भट्टारक शांति सुरभी द्वारा करवायी थी। इसी क्रम में एक अन्य जैन अभिलेख संवत् १५२४ का है, जिसका पाठ निम्न प्रकार है : संवत् १५२४ वर्षे फागुण सुदि दिने, श्रीमाल जातिये ठाकुरा गौत्रे। साजयता पु. सा. भांडण सुश्वाव केन पुत्र झाझण दिस हितं श्री श्रेयसं बिंब॥ कारितं प्रतिष्ठित श्री खरतर गच्छे श्री श्री जिन चन्द्र सुरभि मंडप दुर्ग।। उक्त लेख फागुण सुदी सप्तमी संवत १५२४ का है, जिसमें उक्त तिथि को श्रीमाल जाति ठाकुर गौत्र के जैन श्रावक मंडप के पुत्र जयंता व झाझण ने तीर्थकर श्री श्रेयान्सनाथ की मूर्ति की प्रतिष्ठा खरतरगच्छ के मण्डप दुर्ग के भट्टारक जिन चन्द्र सुरभि द्वारा करवाने का वर्णन है। उपरोक्त मंदिर में ३ आसनस्थ व एक स्थानक जैन तीर्थकर मूर्तियां है। इनमें २ मूर्तियों पर निम्नांकित अभिलेख है: (१) संवत् १३३० ज्येष्ठ बदि ५ शनौ। प्राग्वाट जातीय कुंभा सुत कडुआ दे दा।। उक्त मूर्ति की प्रतिष्ठा ज्येष्ठ मास की पंचमी सुदी को संवत् १३३० (१२७३ ई.) में प्राग्वाट जाति के कुंभा नामक व्यक्ति के पुत्र कड़वा द्वारा करवायी थी। संवत् १३५२ वर्षे माह सुदी ६ गुरौ, पाटन्वये सा आहड़ के पुत्र देद्दा.....। इस मूर्ति की प्रतिष्ठा माघ सुदी ६ बृहस्पतिवार संवत् १३५२ (१२९६ ई.) को सआहड़ के पुत्र देदा द्वारा करवाई गई थी। इस प्रकार हाड़ौती क्षेत्र में जैनधर्म के छठी से २०वीं सदी तक के प्रभाव व धर्म की अबाध गति व उन्नति का पता चलता है। संदर्भ ग्रन्थ सूची:१. चांदखेड़ी मंदिर में प्रतिष्ठित तीर्थकर ऋषभदेव की पीठ पर अंकित संख्याक लेख। २. खान, एस.आर. (संग्राहक) — हाड़ौती के बोलते शिलालेख, पृष्ठ.६१ ३. पूर्वोक्त, पृष्ठ. ६२ ४. वरदा, शोधपत्रिका, वर्ष १४, अंक-४, पृ. ११ से २२ ५. शर्मा, मथुरालाल - कोटा राज्य का इतिहास, प्रथम भाग, पृ.७९ ६. स्वयं लेखक द्वारा पठन किया गया। ७. स्वयं लेखक द्वारा पठन किया गया। ८. जैन इन्सक्रप्शन्स ऑफ राजस्थान, पृष्ठ. १५१ ९. एन्युअल रिपोर्ट ऑफ इण्डियन एपीग्राफी, १९७०, पृष्ठ. १०९ व आगे। १०. सोमानी, रामबल्लभ - जैन लेख संग्रह, भाग ४, पृष्ठ. १६१, लेख संख्याक २२० ११. हस्तलिखित लेख पं. गोपाललाल व्यास, (संग्राहाध्यक्ष - पुरातत्व संग्रहालय, (झालावाड़) (एस.आर. खान के निजी संग्रह से) १२. टाड, कर्नल जेम्स - एनाल्स एण्ड एण्टीक्विटीज, भाग-३, पृ. १७८९
SR No.538065
Book TitleAnekant 2012 Book 65 Ank 02 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2012
Total Pages288
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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