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________________ णवकार-मंत्र माहात्म्य १३. मूलाचार पंचाचाराधिकार, गाथा ३६३ १४. तत्त्वार्थवार्तिक ९.२२.१ १५. मूलाचार पंचाचाराधिकार, गाथा ३६१ १६. याज्ञवल्क्य स्मृति ३.२२६, १७. गौतम स्मृति १९.७.१ १८. हिन्दूधर्म कोश, पृष्ठ-४३० १९. पायच्छितं पत्तोति तेण वुत्तं दसविहं तु। मूलाचार, पंचाचाराधिकार, गाथा ३६१ २०. वही, गाथा ३६२ २१. तत्त्वार्थसूत्र, सुखलाल संघवी कृत विवेचना, जैन संस्कृति संरक्षक मण्डल, वाराणसी १९५२, टिप्पणी। २२. स्थानांग (ठाणं) १०.७३, भगवतीसूत्र २५.७.९, धवला टीका १३.५.४, २६.६३.१, द्रष्टव्य-मूलाचार का समीक्षात्मक अध्ययन, पार्श्वनाथ विद्याश्रम ग्रंथमाला ४०, प्रथम संस्करण, १९८७, पृष्ठ १८८ २३. तत्त्वार्थसूत्र ९.२२ २४. तुलनीय, मूलाचार गाथा ३६२ एवं तत्त्वार्थसूत्र ९.२२ २५. मूलाचार वृत्ति गाथा ३६२ २६. तत्त्वार्थवार्तिक ९.२२.२ २७. आकंपिय अणुमाणिय जं दिह्र बादरं च सुहुमं च। छण्णं सद्दाउलियं बहुजणमव्वत्त तस्सेवी।। मूलाचार वृत्ति गाथा ३६२, सर्वार्थसिद्धि ९.२२ पर उद्धृत। २८. मूलाचार का समीक्षात्मक अध्ययन, पृ. १८९-१९० २९. दशधर्म पृष्ठ-१३६ ३०. मूलाचार वृत्ति गाथा ३६२ ३१. वही गाथा ३६० ३२. तत्त्वार्थवार्तिक ९.२२.१० - जयपुर (राजस्थान)
SR No.538065
Book TitleAnekant 2012 Book 65 Ank 02 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2012
Total Pages288
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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