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________________ जैन कथा साहित्य : एक समीक्षात्मक सर्वेक्षण जानकारी है वर्तमान में पांच सौ से अधिक जैन कथाग्रंथ हिन्दी में उपलब्ध है और इनमें भी कथाओं की संख्या तो सहस्राधिक होगी। 9 हिन्दी के अतिरिक्त जैन कथा साहित्य गुजराती भाषा में भी उपलब्ध है, विशेष रूप से आधुनिक काल के कुछ श्वेताम्बर आचार्यो और अन्य लेखकों ने गुजराती भाषा में अनेक जैन कथाएं एवं नवलकथाएं लिखी है यद्यपि इस सम्बन्ध में मुझे विशेष जानकारी तो नहीं है। फिर भी जो छुट-पुट जानकारी डॉ. जीतेन्द्र बी. शाह से मिली है, उसके आधार पर इतना तो कहा जा सकता है कि गुजराती भाषा में जैन कथाओं पर लगभग तीन सौ से अधिक ग्रन्थ उपलब्ध है। गुजराती कथा लेखकों में रतिलाल देसाई चुन्नीलाल शाह, बेचरदास दोशी, मोहनलाल धामी, विमलकुमार धामी, कुमारपाल देसाई, धीरजलाल शाह आचार्य भद्रगुप्तसूरि, भुवनभानसूरि, शीलचन्द्रसूरि प्रद्युम्नसूरि, रत्नसुंदरसूरि चन्द्रशेखरसूरि आदि प्रमुख है। इसके साथ ही दिगम्बर परंपरा में भी कथा ग्रंथ हिन्दी एवं मराठी में लिखे गये हैं। इसके अतिरिक्त गणेशजी लालवानी ने बंगला में भी कुछ जैन कथाएं लिखी है। जहां तक दक्षिण भारतीय भाषाओं का प्रश्न है तमिल, कन्नड में अनेक जैन कथा ग्रंथ उपलब्ध है, इनमें तमिल ग्रंथों में जीवकचिंतामणि, श्री पुराणम् आदि प्रमुख है। इसके साथ कन्नड में भी कुछ जैन कथा ग्रंथ है, इनमें 'आराधनाकथै' नामक एक ग्रन्थ है, जो आराधनाकथाकोश पर आधारित है। इस प्रकार हम देखते हैं कि जैन कथा साहित्य बहुआयामी होने के साथ-साथ विविध भाषाओं में भी रचित है। तमिल एवं कन्नड के साथ-साथ परवर्तीकाल में तेलगू, मराठी आदि में भी जैन ग्रंथ लिखे गये हैं। विभिन्न काल खण्डों का जैन कथा साहित्य - कालिकदृष्टि से विचार करने पर हम पाते हैं कि जैन कथा साहित्य ई. पू. छठी शताब्दी से लेकर आधुनिक काल तक रचा जाता रहा है। इस प्रकार जैन कथा साहित्य की रचना अवधि लगभग सत्ताईस सौ वर्ष है इतनी सुदीर्घ कालाधि में विपुल मात्रा में जैन आचार्यों ने कथा साहित्य की रचना की है। भाषा की प्रमुखता के आधार पर काल क्रम के विभाजन की दृष्टि से इसे निम्न पांच काल खण्डों में विभाजित किया जा सकता है - ९. आगमयुग ईस्वी पूर्व छठी शती से ईसा की पांचवी शती तक। २. प्राकृत आगमिकव्याख्यायुग - ईसा की दूसरी शती से ईसा की आठवीं शती तक ३. संस्कृत टीका युग या पूर्वमध्ययुग ईसा की आठवीं शती से १४वीं शती तक। ४. उत्तर मध्ययुग या अपभ्रंश एवं मरूगुर्जर युग ईसा की १४वीं शती से १८वीं शती तक। - ५. आधुनिक भारतीय भाषा युग - ईसा की १९वीं शती से वर्तमान तक। भारतीय इतिहास की अपेक्षा से इन पांच कालखण्डों का नामकरण इस प्रकार भी करसकते हैं - १. पूर्वप्राचीन काल २. उत्तरप्राचीन काल ३. पूर्वमध्य काल ४. उत्तरमध्य काल और ५. आधुनिक काल । इनकी समयावधि तो पूर्ववत् ही मानना होगी। यद्यपि कहीं-कहीं कलावधि में ओव्हर लेपिंग (अतिक्रमण) है, फिर भी इन कालखण्डों की भाषाओं एवं
SR No.538065
Book TitleAnekant 2012 Book 65 Ank 02 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2012
Total Pages288
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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