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________________ 96 अनेकान्त 64/2, अप्रैल-जून 2011 संदर्भः 1. आ. कुन्दकुन्द, अष्टपाहुड़ (भावपाहुड़), भा. अनेकान्त विद्वत् परिषद्, लोहारिया, 1994, गाथा 27, पृष्ठ 272 2. आ. पूज्यपाद, सर्वार्थसिद्धि, भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली 1999, अध्याय 2, सूत्र 53, पृष्ठ 147 3. आ. भट्ट अकलंकदेव, तत्त्वार्थवार्तिक, भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली, 2008, अध्याय 2, सूत्र 53, पृष्ठ 158 4. आ. नेमिचन्द्र सिद्धांतचक्रवर्ती, गोम्मटसार कर्मकाण्ड, शिवसागर ग्रंथमाला. महावीर जी. 2003, गाथा 58, पृष्ठ 38 पं. बालभद्र सिद्धांतशास्त्री. जैन लक्षणावली, वीर सेवा मंदिर, दिल्ली, 1972, भाग 1, पृ. 4 6. आचार्य उमास्वामी, तत्त्वार्थसूत्र, साहित्य प्रकाश समिति, बरेला, प्रथम संस्करण, अध्याय 2, सूत्र 53, पृष्ठ 38 आचार्य पूज्यपाद, सर्वार्थसिद्धि, भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली 1999, अध्याय 2, सूत्र 53, पृष्ठ 149, आचार्य भट्ट अकलंकदेव, तत्त्वार्थवार्तिक, भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली, 2008, अध्याय 2, सूत्र 53,पृष्ठ 158 ___ आर्यिका विज्ञानमती, तत्त्वार्थमञ्जूषा, जैन समाज, आरौन, 2005, प्रथम खण्ड, अध्याय 2, सूत्र 53, पृष्ठ 361 9. आचार्य कुन्दकुन्द, अष्टपाहुड़ (भावपाहुड), भा. अनेकान्त वि. प., लोहारिया, 1995, गाथा 25-27, पृष्ठ 270-272 8. -(शोध छात्र) प्राकृत जैनागम विभाग श्री दि० जैन आ० संस्कृत महाविद्यालय सांगानेर, जयपुर (राज.) 302029, मो0 9314591397
SR No.538064
Book TitleAnekant 2011 Book 64 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2011
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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