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________________ अनेकान्त 64/2, अप्रैल-जून 2011 स्वयं की खेती के अनन्तर दूसरों को भी उनके कृषि कर्म में सहायता देते थे। इनके पास हल, बैल और अन्य कृषि उपकरण हुआ करते थे और इस विद्या का ज्ञान रखने वालों का समाज में पूर्ण सम्मान था।7 उत्तम कृषि कर्म के लिए दो प्रकार की सिंचाई अदेवमातृका तथा देवमातृका का उल्लेख आदिपुराण में किया गया है। अदेवमातृका से तात्पर्य नदी, नहर आदि द्वारा किये जाने वाले सिंचाई प्रबन्धन है। कृषिकर्मी नदी या नहर के जल से सिंचन करते थे तथा आवश्यकता पड़ने पर घटीयन्त्र का भी उपयोग किया करते थे। कूप, वापी सरोवर और प्रपा में जल का भंडारण किया जाता था। नहरों से उपनहरों को भी निकाला जाता था और उनसे छोटी-छोटी नालियों के माध्यम से कृषिकर्मी अपने खेतों तक सिंचाई का जल पहुँचाया करते थे। “विद्या शास्त्रोपजीवने" पद के द्वारा आचार्य जिनसेन ने विद्या को आजीविका-वृत्ति के एक माध्यम के रूप में प्रतिष्ठित किया है। सामान्य रूप से शिक्षण-प्रशिक्षण एवं अन्य आवश्यक कर्मकाण्डों में आचार्यत्व इस कर्म के परिक्षेत्र में समाहित हैं। आदिपुराण के एक अन्य संदर्भ में बताया गया है कि राजा को अपने राज्य में विद्या-व्यसनी और शास्त्र द्वारा आजीविका संपन्न करने वाले व्यक्तियों की आजीविका का विशेष ध्यान रखना चाहिए। व्यापार वृत्ति वाणिज्य कर्म के अन्तर्गत समाहित है। आदिपुराण की वार्ता विद्या का विश्लेषण कौटिल्य अर्थशास्त्र में कृषि, पशुपालन तथा व्यापार के रूप में किया गया है। धान्य, पशु, हिरण्य, ताम्रादि खनिज की उत्पत्ति को वार्ता के अन्तर्गत समाहित किया गया है, वार्ता को आर्थिक समृद्धि का एक महत्त्वपूर्ण कारक माना गया है। आचार्य जिनसेन ने वाणिज्य कर्म के साथ-साथ पशुपालन और पशु व्यापार को भी पर्याप्त महत्त्व दिया है। पशुओं की खरीद-बिक्री में एक प्रतिभू-जामिनदारी भी हुआ करता था जिसकी जमानत पर मवेशी को खरीदा जाता था। व्यापार के लिए विदेश भी जाया जाता था। व्यापार स्थल मार्ग और जल मार्ग दोनों द्वारा ही संपादित होता था। व्यापार हेतु सार्थवाहों का एक समूह जाया करता था। इस सार्थवाह समुदाय का एक व्यक्ति संघपति होता था और सारी व्यापारिक गतिविधियों का संचालन किया करता था। श्रीपाल की जलयात्राएँ जल मार्ग से संचालित होने वाले व्यापार को इंगित करती हैं। वाणिज्य आज की दुनियाँ की राजनीति को नियंत्रण करता है। अमेरिका ने चीन को Most Favoures Nation (MFN) का दर्जा दिया जिस कारण चीनी उत्पाद अमरीकी बाजारों में अत्यन्त कम कीमत पर छा गये। अपनी कम कीमतों के कारण कोरिया, ताइवान आदि देश यूरोपीय और अमरीकी देशों में प्रभुत्व स्थापित तो कर ही रहे हैं, राजनीतिक परिदृश्य को भी प्रभावित कर रहे हैं। वाणिज्यिक गतिविधियों को शासन सर्वाधिक महत्त्व दे रहा है, एक पृथक् वाणिज्य मंत्रालय प्रत्येक देश के शासन का अहम हिस्सा होता है। जिनसेन युगीन सार्थवाह आज के TRADE DELEGATIONS में परिणत हो गया है जो देश के शासनाध्यक्षों के नेतृत्व में विदेशों में यात्राएँ करता है, वाणिज्यिक उपयोग की प्रदर्शनियों और मेलों का आयोजन किया जाता है, संयुक्त निवेश के उपक्रमों के जरिये पारस्परिक लाभ के उद्यम शुरु किये जाते हैं और स्टाक एक्सचेंजों में शेयरों के व्यापार
SR No.538064
Book TitleAnekant 2011 Book 64 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2011
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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