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________________ 82 अनेकान्त 63/1, जनवरी-मार्च 2010 पुस्तक समीक्षा कृति का नाम- मूलाचार वसुनन्दि पारिभाषिक कोश, संपादक- डॉ. रमेशचन्द्र जैन, डी. लिट, निदेशक- जैन विद्या अध्ययन एवं अनुसंधान केन्द्र, वर्द्धमान कॉलेज, बिजनौर (उ.प्र.), प्रकाशक एवं प्राप्ति स्थान- श्री अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन विद्वत्परिषद्, मंत्री कार्यालय - एल-65, न्यू इंदिरानगर, बुरहानपुर (म. प्र. ) मो. 09826565737, पृष्ठ-17+341, मूल्य 300रू./ समीक्ष्य कृति 'मूलाचार वसुनन्दि पारिभाषिक कोश' श्री अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन विद्वत्परिषद् की विशिष्ट साहित्य प्रकाशन परंपरा का एक अनुपम पुष्प है। जिसका संपादन विद्वत्परिषद् के पूर्व अध्यक्ष डॉ. रमेशचन्द जैन, डी. लिट्., बिजनौर ने किया है। कृति एवं कृतिकार के विषय में परम पूज्य आचार्यश्री विद्यानंद जी महाराज ने अपना आशीर्वाद देते हुए कहा है किकोषस्येव महीपानां कोशस्य विदुषामपि । उपयोगो महान् यस्मात् क्लेशस्तेन विना भवेत् ॥ अर्थ- जिस प्रकार राजाओं को 'कोष' (धन का भण्डार) की बड़ी भारी आवश्यकता होती है और उसके अभाव में बड़ा कष्ट उठाना पड़ता है, उसी प्रकार विद्वानों को भी 'कोश' ( शब्दों का भण्डार, ज्ञान का भण्डार) की महती उपयोगिता होती है और उसके अभाव में बड़ा कष्ट उठाना पड़ता सच है 'कोश' के बिना कोई भी अच्छा वक्ता या लेखक नहीं हो सकता । है। धर्मानुरागी विद्वद्वर्य डॉ. रमेशचन्द जैन निरंतर अध्ययनशील एवं सज्जन पुरुष हैं, उन्हें जैनदर्शन के साथ-साथ इतर दर्शनों का भी अच्छा ज्ञान है । मूलाचार की वसुनन्दिवृत्ति का 'कोश' तैयार कर उन्होंने विद्वानों एवं सामान्य स्वाध्यायी व्यक्तियों के लिए भी बड़ा ही उपयोगी कार्य किया है। वे इसी प्रकार जिनवाणी की सतत सेवा करते रहें यही मंगल आशीर्वाद है। उक्त कृति की रचना के पीछे परम पूज्य मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महाराज की प्रशस्त प्रेरणा रही है। बांसवाड़ा चातुर्मास काल में उनके ही सानिध्य में संपन्न 'मूलाचार अनुशीलन राष्ट्रीय विद्वत्संगोष्ठी' के समय डॉ. रमेशचन्द जी के मस्तिष्क में यह विचार उभरा कि मूलाचार के टीकाकार आचार्य वसुनन्दि ने जो परिभाषाएं दी हैं वे अनुपम हैं और उनका एक कोश बनना चाहिए लेकिन यह श्रमसाध्य कार्य कोई और कैसे करता । अतः स्वयं
SR No.538063
Book TitleAnekant 2010 Book 63 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2010
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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