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________________ 10 अनेकान्त 63/4, अक्टूबर-दिसम्बर 2010 कूटलेख क्रिया कितने ही श्रावकों की यह भ्रान्त धारणा होती है कि मैंने स्थूल असत्य बोलने का परित्याग किया है, किन्तु असत्य लिखने का नहीं। इसी कारण हाथ से मिथ्या लेख देना, जाली हुण्डी, बिल्टी, नोट, सिक्के, मुहर आदि बनाना इसी तरह बहीखातों में झूठा जमा-खर्च करना आदि कार्य करने में संकोच का अनुभव नहीं करते हैं। भले ही मुँह से झूठ न बोला गया हो, पर लेखन में तो भयंकर झूठ है। इस प्रकार के सभी मिथ्या लेख कूटलेखक्रिया के अन्तर्गत आते हैं। जैनदर्शन में कूटलेख के लिए जिन कारणों का उल्लेख प्राप्त होता है उन्हीं कारणों का भारतीय कानून में भी उल्लेख प्राप्त होता है। मिथ्या लेख जाली हुण्डी, बहीखातों का फर्जी होना आदि कारण कहे हैं, उनमें यदि कोई व्यक्ति अपराधी माना जाता है तो उसे धारा 465 के तहत 2 वर्ष का कारावास अथवा जुर्माने की सजा दी जाती है तथा राजकीय सिक्के के जाली होने संबंधी सामग्री प्राप्त होने पर, बेचने पर, उपयोग में लाने हेतु एकत्र करने पर धारा 232, 233, 234, 235 के तहत 3 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक के कारावास का भागीदार होगा। मुहर, नोट, सरकारी स्टाम्प पेपर आदि के जाली होने पर धारा 255 के तहत बनाने वाले को 10 वर्ष कारावास ही सजा तथा बेचने वाले को धारा 257 के तहत 7 वर्ष के कारावास की सजा मिलती है। वहीखातों के जाली होने पर धारा 477अ के तहत 7 वर्ष का कारावास अथवा जुर्माने की सजा का हकदार है। न्यासापहार चतुर्थ स्थूल सत्य के अतिचारों में दूसरे की धरोहर का हरण करने के लिए प्रयुक्त असत्य को न्यासापहार कहा है। लोभ के कारण किसी की रखी हुई अमानत को हड़पने के आशय से कम-ज्यादा या सर्वथा इंकार कर देना न्यासापहार है, यद्यपि आचार्य मनु ने भी कहा है यो निक्षेपं नार्पयति यश्चानिक्षिप्य याचते। तावुभौ चोरवच्छास्यौ दाष्यौ वा तत्सम दमम्॥ अर्थात् धरोहर को न लौटाने को तस्कर कृत्य माना है और कहा है कि उसे तस्कर की तरह दण्डित करना चाहिए। पर यहाँ न्यासापहार को असत्य में गिना गया है क्योंकि यह कुकृत्य असत्य बोलकर किया जाता है। यह भी द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव से बोला जाता है। बढ़िया धरोहर को घटिया कहना तथा नये को पुरानी और पुरानी को नई कहना भी इसी के अन्तर्गत आता है। भारतीय कानून में संपत्ति के अपहरण किये जाने पर या जबरन छीन लेने पर अपहरण करने वाले अथवा अवैध रूप से कब्जा करने वाले पर धारा 208 के तहत दो वर्ष की सजा तथा जुर्माना भी हो सकता है अथवा परसंपत्ति को हड़पने के इरादे से बेईमानी से न्यायालय में मिथ्या दावा करने पर धारा 209 के तहत दो साल की सजा का प्रावधान किया गया है।
SR No.538063
Book TitleAnekant 2010 Book 63 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2010
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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