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अनेकान्त 63/3, जुलाई-सितम्बर 2010
9. मुनस्मृति 4/108 10. ऋग्वेद, 5.64.3 11. वही, 8. 18. 13 12. यजुर्वेद, 12/13, 16/3, 13/47, 13/43, 13/50, 13/49 13. अथर्ववेद, 8.1.7 14. वही, 3.10.1 15. तत्त्वार्थसूत्र 7/13 16. रत्नकरण्डश्रावकाचार, 53 17. सागारधर्मामृत 2/82 18. ज्ञानार्णव 8/20 19. मनुस्मृति 5/19 20. ऋग्वेद, 2.12.15 21. ऋग्वेद, 1. 167.7 22. ऋग्वेद, 7. 104.12 23. ऋग्वेद, 1. 63.3 24. सत्यमर्थमाययति प्रत्यायति गमयति सत्यम-लि0 1.4.13 पर ब्रह्ममुनि की टीका 25. निरुक्त, 3/13 26. सर्वार्थसिद्धि 9/6 27. विदुरनीति, 3/58 28. मनुस्मृति 4/138 की टीका 29. प्राणो ह सत्यवादिन मुत्तमे लोके आदधात्। अथर्ववेद, 11.4.11, अथर्ववेद, 4.16.6 30. छिनन्तु सर्वे अनृतं वदन्तम्। 31. रत्नकरण्डश्रावकाचार, 55 32. ज्ञानार्णव, 9/27, 29 33. ऋग्वेद, 10.37.2 34. वही, 4.38.5 35. वही, 8. 67. 14 36. यजुर्वेद, 11/79 37. तत्त्वार्थसूत्र, 7/15 38. तत्त्वार्थसूत्र, 7/27 39. भगवती आराधना, 984 40. ऋग्वेद, 10. 85.36 41. वही, 10. 85.42 42. अथर्ववेद, 7.38.4 43. द्रष्टव्य- भगवती आराधना, 80 44. रत्नकरण्डश्रावकाचार 59 45. स्याद्वादमंजरी पृष्ठ 277 पर उद्धृत 46. कार्तिकेयानुप्रेक्षा 339-340 47. पद्मनन्दिपञ्चविंशतिका, 1/16 48. ऋग्वेद 10.34.4 (पिता माता भ्रातर एनमाहुर्न जानीओ नयता बद्धमेतम्।) 49. वही, 10. 34. 13 (अक्षर्मा दीव्यः कृषिमित् कृषस्व।) 50. लाटीसंहिता, 2/114