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________________ 46 अनेकान्त 63/3, जुलाई-सितम्बर 2010 अनर्थ दण्डस्तत्त्यागोऽनर्थदण्डव्रतं मतम्।। सागारधर्मामृत, 5/6 14. अभ्यन्तरं दिगवधेरपार्थकेभ्यः सापायोगेभ्यः। विरमणमनर्थदण्डव्रतं विदुव्रतधरागुण्यः।। रत्नकरण्डश्रावकाचार, 74 15. प्रयोजनं विना पापादानहेत्वनर्थदण्डः। चारित्रसार (बड़ौत), 16 16. प्रश्नोत्तरश्रावकाचार, 17/24 17. उमास्वामीश्रावकाचार, 399 18. पापोपदेशहिंसादानापध्यानदुःश्रुतीः पञ्च। प्राहु प्रमाचर्यामनर्थदण्डानदण्डधराः।। रत्नकरण्ड श्रावकाचार, 75 19. पुरुषार्थसिद्ध्युपाय 141-146 20. द्रष्टव्य- यतीन्द्रसूरि अभिनंदन ग्रंथ में 'आजनो जैन अनेगृहस्थ धर्म' लेख, लेखक पूनमचंदनागरदास जोशी एवं द्रष्टव्य- योगशास्त्र हेमचन्द्राचार्य, 3/63-74 21. तिर्यकलेशवणिज्यहिंसारम्भलम्भनादीनाम्। कथाप्रसंग प्रसवः स्मर्तव्य- पाप उपदेशः।। रत्नकरण्ड श्रावकाचार, 76 22. कार्तिकेयानुप्रेक्षा, 44 23. विद्यावाणिज्यमषीकृतिसेवाशिल्पजीविनां पुंसाम्। पापोपदेशदानं कदाचिदापि नैव वक्तव्यम्।। पुरुषार्थसिद्ध्युपाय, 142 24. सागारधर्मामृत, 5/7 25. चारित्रसार, पृष्ठ संख्या 17 26. परशुकृपाणखनित्रज्वलनायुध श्रगिश्रृंखलादीनाम्। वधहेतुनां दानं सादानं ब्रुवन्ति बुधाः। रत्नकरण्डश्रावकाचार, 77 27. सर्वार्थसिद्धि, 7/21 28. पुरुषार्थसिद्ध्युपाय 144 29. मज्जार पहुदिधरणं, आउहलोहादिविक्कणं जं च। लक्खा- खलादिगहणं अणत्थदंडो हवे तुरियो।। कार्तिकेयानुप्रेक्षा, 46 वधबन्धच्छेदादेर्दूषाद् रागाच्च परकलत्रादेः। आध्यानमपध्यानं शासति जिनशासने विशदाः।। रत्नकरण्ड श्रावकाचार, 78 31. परदोसाण वि गहणं परलक्ष्छीणं समीहणं जं च। पर-इत्थी अवलोओ पर-कलहालोमणं पठम।। कार्तिकेयानुप्रेक्षा, 43 32. सर्वार्थसिद्धि, 7/21 33. कार्तिकेयानुप्रेक्षा, 47 34. पुरुषार्थसिद्ध्युपाय, 145 35. चित्तकालुष्यकृत्कामहिंसाद्यर्थश्रुततिम्। न दुःश्रुति मपध्यानं नातरौद्रात्म चान्वियात्।। सागारधर्मामृत, 5/9 36. रत्नकरण्डश्रावकाचार, 80 37. भूखननवृक्षमोट्टनड्वलदलनाम्बुसेचनादीनि। निष्करणं न कुर्याद्दलफलकुसुमोच्च्यानषि च।। पुरुषार्थसिद्ध्युपाय, 143 38. सर्वार्थसिद्धि, 7/21 39. धर्मोपदेशपीयूषवर्षश्रावकाचार, 4/117 40. तरुणां मोटनं भूमेः खननं चाम्बुसेचनम्। फलपुष्पोच्चयश्वेति प्रमादाचरणं त्यजेत्।। उमास्वामीश्रावकाचार. 405 41. पुरुषार्थसिद्ध्युपाय, 146
SR No.538063
Book TitleAnekant 2010 Book 63 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2010
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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