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________________ अनेकान्त 62/4, अक्टूबर-दिसम्बर 2009 समाचार विविधा 22वीं सदी जैन सदी होगी- गांधीवादी प्रो. रामजी सिंह भागलपुर दिनांक 10 अक्टूबर2009 को प्रसिद्ध गांधी विचारक, समाजसेवी, सर्वोदय सिद्धांत के प्रचारक, पूर्व सांसद एवं पूर्व कुलपति जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय, लाडनूं प्रो. रामजी सिंह भागलपुर का आगमन वीर सेवा मंदिर दिल्ली में हुआ। आपके साथ वीर कुंवरसिंह विश्वविद्यालय आरा के जैनशास्त्र एवं प्राकृत विभाग के अध्यक्ष प्रो. रामजी राय भी थे। अतिथियों का संस्था महामंत्री श्री सुभाष जैन, कोषाध्यक्ष श्री धनपाल सिंह जैन, मंत्री श्री योगेश जैन, शोध उपसमिति विद्वान सदस्य श्री सुमत प्रसाद जैन, संपादक मण्डल सदस्य प्रो. एम. एल. जैन ने माल्यार्पण कर स्वागत किया तथा संस्थापक आचार्य जुगलकिशोर मुख्तार रचित साहित्य भेंट किया गया। प्रो. सिंह को संस्था भवन का अवलोकन कराया गया व शोधार्थियों को दी जाने वाली सुविधाओं के विषय में बताया गया। प्रो. एम. एल. जैन ने बताया कि आपने विश्वधर्म संसद व अनेक अन्तर्राष्ट्रीय मंचों में जैनधर्म के सिद्धान्तों अहिंसा, अनेकांत, अपरिग्रह व स्याद्वाद के ऊपर अपने व्याख्यान दिये हैं और इन सिद्धांतों का व्यापक प्रचार-प्रसार किया है। आपने उपरोक्त पर अनेक स्मरणीय उद्बोधन एवं शोध लेख दिये हैं जिससे समाज को साहित्यिक लाभ के साथ-साथ आत्मिक लाभ पहुंचा है। आप अनेक वर्षों तक राज्यसभा के संसद सदस्य रहे हैं। प्रो. रामजी सिंह ने कहा कि आचार्य जुगलकिशोर मुख्तार जी की इस कर्मभूमि के बारे में पता चलने पर उनकी आने की अभिलाषा तीव्र हो गयी। आपने बताया कि अपने शोध विद्यार्थी जीवन में वह इसी संस्था से शोध अध्ययन सामग्री मंगाया करते थे तथा आपने अनेकांत शोध पत्रिका के पुराने अंकों का संकलन भी कर रखा है। आपने बताया कि 'सर्वोदय' शब्द आचार्य समंतभद्र द्वारा रचित एवं वीर सेवा मंदिर द्वारा प्रकाशित ग्रंथ युक्त्यानुशासन में सर्वप्रथम मिलता है तथा वैदिक व अन्य किसी शब्दकोश में प्रयोग नहीं है। महात्मा गांधी ने जैन सिद्धांतों का गहराई से चिंतन-मनन कर अहिंसा, अनेकांत व अपरिग्रह का अपने जीवन में अपनाया। मैं जब पढ़ता था तब इस संस्था से युक्त्यानुशासन, स्वयंभूस्त्रोत, आप्तमीमांसा आदि ग्रंथों का अध्ययन करता था। आपने आ. जुगलकिशोर जी, पं. सुखलाल जी सिंघवी, डॉ. नेमिचन्द्र शास्त्री आदि विद्वानों द्वारा रचित साहित्य का अध्ययन किया है। आज जो विश्व में पर्यावरण सुरक्षा को लेकर कार्बन क्रेडित की बात जा रही है यह और कुछ नहीं भ0 महावीर का अपरिग्रह सिद्धांत ही है। आज भी विश्व अहिंसा, अनेकांत एवं अपरिग्रह के मार्ग पर चलकर ही पुष्पित और पल्लवित होगा। उन्होंने कहा कि 22वीं
SR No.538062
Book TitleAnekant 2009 Book 62 Ank 03 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2009
Total Pages192
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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