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अनेकान्त 62/3, जुलाई सितम्बर 2009
चम्पतराय जी द्वारा लिखित Key of Knowledge, व Rishabh Deva का अंग्रेजी भाषा में पुनर्मुद्रण में एवं Confluence of Opposites का हिन्दी रुपान्तरण " असहमत संगम" में तकनीकी सहयोग प्रदान कर विद्वानों के लिए उपलब्ध कराने में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया है।
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मै भावना भाता हूँ कि श्री जुगलकिशोर मुख्तार 'युगवीर' द्वारा संस्थापित इस संस्था एवं 62 वर्ष से सतत प्रकाशित 'अनेकान्त' को सभी गुणानुरागियों का सहयोग मिलता रहेगा. जिससे आगामी वर्षों में समाज की और अधिक सेवा हो सकेंगी।
जयकुमार जैन
लेखकों से निवेदन
1. लेख स्वच्छ हस्तलिखित अथवा टकित मूल लेख ही भेजें।
2.
लेख के साथ लेख के मौलिक एवं अप्रकाशित होने का प्रमाण पत्र अवश्य संलग्न करें एवं अनेकान्त में प्रकाशन के निर्णय होने तक अन्यत्र प्रकाशनार्थ न भेजें। 3. अप्रकाशित निवन्ध को ही प्रकाशन में वरीयता दी जायेगी तथा मौलिक,
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अप्रकाशित एवं मूल लेख प्राप्त होने पर ही मानदेय दिया जायेगा । लेख पर अपना पूरा पता, फोन एवं मोबाईल नं0, व ईमेल जरूर लिखे ।
4. यदि लेख कम्प्यूटर पर टंकित हो तो उसके Font के साथ सी. डी. के रूप में भी भेज सकते हैं अथवा उसे संस्था E-mail: virsewa@gmail.com पर भी भेज सकते हैं।
5. पुस्तक समीक्षा हेतु पुस्तक की दो प्रतियाँ अवश्य भेजें तथा संभव हो तो दो पृष्ठों में उस पुस्तक का संक्षिप्त परिचय भी भेजें। स्तरीय तथा महत्त्वपूर्ण प्रकाशनों की ही समीक्षायें प्रकाशित की जायेंगी।
6. लेख मूल हस्ताक्षरित प्रति में ही भेजे तथा भेजने से पूर्व उसकी एक प्रति अपने पास सुरक्षित रखें। अप्रकाशित निबन्ध लौटाये नहीं जायेंगे ।
7. लेख में उल्लिखित मूल श्लोकों, गाथाओं, उद्धरणों तथा सभी सन्दर्भों को मूल ग्रन्थ से मिलाकर शुद्ध करके ही भेजें। प्राय: प्रूफ रीडिंग में इनका मिलान आपके प्रेषित लेख की मूल कॉपी से ही संभव होता है।
8. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली के द्वारा जारी नयी पदोन्नति नीति के अनुसार वे ही शोधपत्र पदोन्नति में मान्य होगे जो ISSN नंबर से युक्त शोध पत्रिका में प्रकाशित होंगे। अनेकान्त पत्रिका को पेरिस से जारी होने वाले इन्टरनेशनल स्टैण्डर्ड सीरियल नंबर प्राप्त है। विद्वान अपने उच्चस्तरीय शोध आलेख प्रकाशन हेतु भेजे।