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अनुक्रमणिका
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1. सम्पादकीय 2. लेखकों से निवेदन 3. पं. जुगलकिशोरजी मुख्तार - प्रो० फूलचन्द जैन प्रेमी
के प्रकीर्णक निबन्धों का मूल्यांकन परमपूज्य चारित्र-चक्रवर्ती - 'जैन विद्यावारिधि' आचार्य श्री शान्तिमागरजी सुमत प्रसाद जैन, एम्. ए. महाराज का प्रेरक व्यक्तित्व
और रचनात्मक कृतित्व 5. 'मूलाचार' में प्रतिपादित - डा० अनेकान्त कुमार जैन
आर्यिकाओं का स्वरूप एवं
समाचार 6. 'पुरुषार्थसिद्ध्युपाय' में - डा० सुरेन्द्रकुमार जैन
वर्णित पुरुष और पुरुषार्थ 7. मोक्षमार्ग में नियति' प्रधान - श्री बाबूलाल जैन
है कि पुरुषार्थ? 8. 'आत्मख्याति' टीका में - श्री अनिल अग्रवाल
प्रयुक्त ‘क्रमनियमित' विशेषण का अभिप्रेतार्थ 9. जैनकला के प्रतीक और - श्री ए. के. भट्टाचार्य
प्रतीकवाद 10. जैन परम्परा और अयोध्या - डा० मोहनचन्द तिवारी 11. साहित्य-समीक्षा - डा० अनेकान्त जैन
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