________________
अनेकान्त 61/1-2-3-4
97
नियत-अनियतात्मक सिद्ध होता है - केवलज्ञान में झलकने की अपेक्षा कथंचित् नियत (निश्चित) कहलाते हुए भी, उस पदार्थ के स्व-अस्तित्व की अपेक्षा कथंचित् अनियत (अनिश्चित) है।
20. केवलज्ञान में जीव-वस्तु के परिणमन का झलकना
उसके वैसे परिणमन का कारण नहीं है। सभी द्रव्यों की मूल स्वतन्त्रता का उद्घोष करने वाले द्रव्यानुयोग के अनुसार, किसी भी चेतन या अचेतन पदार्थ का परिणमन कदापि केवलज्ञान के अधीन नहीं हो सकता। जितने भी लोक में पदार्थ हैं उन सबका केवलज्ञान के साथ मात्र ज्ञेय-ज्ञायक सम्बन्ध है, कार्य-कारण सम्बन्ध नहीं है। जो लोग ऐसा मानते हैं कि "केवलज्ञान में झलका, इसलिये वस्तु का वैसा ही परिणमन होगा' - वे उस वस्तु और केवलज्ञान के बीच कार्य-कारण सम्बन्ध मानते हैं। अन्यमतावलम्बी, जड़-चेतन सभी वस्तुओं का परिणमन जिस प्रकार एक ईश्वर की इच्छा के अधीन मानते हैं, उसी प्रकार की यह मान्यता भी ठहरी! वे ईश्वरेच्छाधीन' मानते हैं, हमारे नियतिवादी बन्धुओं ने केवलज्ञानाधीन मान लिया! विडम्बना (irony) यह है कि केवलज्ञानी द्वारा प्रणीत एवं निःस्पृह निर्ग्रन्थ आचार्यों की अविच्छिन्न परम्परा से हमें प्राप्त तत्त्वोपदेश में ऐसा कुछ भी नहीं मिलता जिसके आधार पर कोई पाठक ऐसी मान्यता बना सके! जाहिर है कि चारों अनुयोगों के शास्त्रों के पारस्परिक सापेक्षतापूर्वक गंभीर अध्ययन करने का श्रम न करके, इन लोगों ने अपने आधे-अधूरे अध्ययन के आधार पर, आचार्यों द्वारा सन्दर्भविशेष के अन्तर्गत, प्रयोजनविशेष के वश कहे गए वचनों का, सन्दर्भ-निरपेक्ष/प्रयोजननिरपेक्ष एवं स्वकल्पित अर्थ ग्रहण किया है।
"केवलज्ञान में झलका, इसलिये वस्तु का वैसा ही परिणमन होगा' - ऐसी मान्यता के धारक महानुभाव उस वस्तु और केवलज्ञान के बीच अपने अन्तरंग में तो कार्य-कारण सम्बन्ध ही मानते हैं; भले ही इस बात को चाहे जिन शब्दों के द्वारा वे दूसरों के समक्ष प्रस्तुत करें। कुछ भी हो, किन्तु जिनागम के अनुसार ज्ञेय-ज्ञायक सम्बन्ध के बजाय कार्य-कारण सम्बन्ध मानना सही नहीं, प्रत्युत मिथ्या है। सम्यक् वस्तुस्थिति यह है कि उपादान वस्तु ने जैसा परिणमन किया, कर रही है, अथवा करेगी, वैसा केवलज्ञान का ज्ञेय है - यही ज्ञेय-ज्ञायक सम्बन्ध है।
उन महानुभावों की अपनी अन्तरंग मान्यताएं क्या हैं, यह तो वे ही जानें, किन्तु लिखित रूप में तो उन्हें भी स्वीकार करना पड़ता है कि "वस्तु का