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________________ अनेकान्त 60/1-2 विश्वविद्यालय वाराणसी, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर, जैन विश्व भारती लाडनूं, पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला, उत्कल संस्कृति विश्वविद्यालय भुवनेश्वर, रामानन्दाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर, लाल बहादुर शास्त्री केन्द्रीय संस्कृत विद्यापीठ देहली, मैसूर विश्वविद्यालय, गुजरात विद्यापीठ, अहमदाबाद, राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर, अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, रीवा आदि में जैन विद्याओं का अध्ययन एवं शोधकार्य हो रहा है। एल.डी. इन्स्टीट्यूट ऑफ इण्डोलाजी अहमदाबाद, पार्श्वनाथ विद्यापीठ वाराणसी, वीर सेवा मन्दिर नई दिल्ली, गणेशवर्णी शोधसंस्थान वाराणसी, कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ इन्दौर, प्राकृत एवं जैनविद्या शोध संस्थान वैशाली, कुन्दकुन्द भारती देहली, जैन विद्या शोध संस्थान महावीर जी, इन्स्टीट्यूट ऑफ प्राकृत स्टडीज एण्ड रिसर्च श्रवणबेलगोला, रमारानी इन्स्टीट्यूट मूडबद्री, श्रमण संस्कृति संस्थान सांगानेर आदि केन्द्रों में विधिवत जैन विद्याओं का अ ध्ययन एवं अनशीलन हो रहा है। अनेक जैन विद्यालयों पाठशालाओं की भूमिका भी जैन शिक्षा के विकास में महत्त्वपूर्ण रही है। इसकी उपयोगिता को ध्यान में रखकर लन्दन विश्वविद्यालय ने जैन स्टडीज सेन्टर की स्थापना की है। भारत के अनेक विश्वविद्यालयों के संस्कृत, प्राकृत, इतिहास, दर्शन, कला, राजनीति, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, मनोविज्ञान तथा विविध प्रान्तीय भाषा विभागों के निष्णात विद्वानों के मार्गदर्शन में लगभग एक हजार शोध-प्रवन्ध लिखे जा चुके हैं। जर्मन के विश्वविद्यालयों में प्राकृत तथा अपभ्रंश पर महत्त्वपूर्ण शोधकार्य हुए हैं। जैन आगम साहित्य का हिन्दी अनुवाद हो गया है, कन्नड़ अनुवाद का कार्य प्रारम्भ हो चुका है। जैन ग्रन्थों का अंग्रेजी अनुवाद भी प्रारम्भ हो चुका है। आज की यह अनिवार्य आवश्यकता हो गई है कि देश-विदेश के सभी विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में जैन दर्शन और साहित्य की शिक्षा दी जाये। प्राकृत, अप्रभंश, प्राचीन कन्नड़, तमिल, गुजराती एवं हिन्दी के क्रमिक
SR No.538060
Book TitleAnekant 2007 Book 60 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2007
Total Pages269
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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