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अनेकान्त 60/1-2
8. निखिलेश सेठी से प्राप्त एक दुर्लभ पुस्तक एवं कोटा राज्य परिशिष्ट संख्या-11
पूर्वोत्तक 9. प्रतिमा पर अंकित लेख व मन्दिर के प्रथम भाग की दांयी पट्टिका पर लगा लेख 10. विनोद भवन झालरा पाटन के उद्योगपति विद्वान श्री सुरेन्द्र कुमार जी सेठी से ली
गई। जैन-धर्म विषयक एक गम्भीर चर्चा के आधार पर 11. पूर्वोत्तक वर्णित मन्दिर स्मारिका-1987, पृष्ठ-3
आदर्श गृहस्थ न्यायोपात्तधनो यजन्गुणगुरून् सद्गीस्त्रिवर्ग भज न्नन्योन्यानुगुणं तदर्हगृहिणीस्थानालयो हीमयः। युक्ताविहार आर्यसमितिः प्राज्ञः कृतज्ञो वशी, शृण्वन् धर्म विधिं दयालुरघभीः सागारधर्म चरेत् ।।
- सागारधर्मामृत, 1/ll न्यायपूर्वक धन कमाने वाला, गुणों में श्रेष्ठ लोगों का सम्मान करने वाला, सत्यवक्ता, धर्म-अर्थ-काम का विरोध रहित सेवन करने वाला, तीनों पुरुषार्थों के योग्य स्त्री, ग्राम एवं घर से युक्त, लज्जालु, शास्त्रोक्त आहार-विहार वाला, आर्यजनों की संगति करने वाला, बुद्धिमान, कृतज्ञ, जितेन्द्रिय, धर्म विधि का श्रोता दयालु एवं पापभीरू व्यक्ति को गृहस्थ धर्म का आचरण करना चाहिए अर्थात् वही श्रावक धर्म को धारण करने योग्य है।