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________________ अनेकान्त 60/1-2 परन्तु उसका मूल आधार अभी तक ज्ञात नहीं हो पाया है। हालांकि यह क्षेत्र अतिशयक्षेत्र के रूप में प्रसिद्ध है। झालरापाटन की प्राचीन और प्रख्यात फर्म बिनोदी राम-बाल चन्द के वंशज दिगम्बर जैन रत्न उद्योगपति श्री सुरेन्द्र कुमार सेठी का मानना है कि चांदखेड़ी को 18 वीं सदी में देश भर में वही स्थान प्राप्त था जो प्राचीन काल में अयोध्या, मथुरा श्रावस्ती और शत्रुजय जैसे पवित्र स्थानों को था। सारतः चांदखेड़ी के इस भव्य और औरंगजेब कालीन विचित्र जैन मन्दिर में जैन धर्म के सारे आयोजन बड़ी ही धूमधाम से मनाये जाते हैं। देश के सुदूर राज्यों से जैन धर्म के सैकड़ों परिवार एवं अब पर्यटक भी यहाँ आने लगे है। वे इस मन्दिर की विचित्र निर्माण शैली और सुन्दर प्रतिमा के दर्शन कर अपनी धार्मिक यात्रा और पर्यटन पूर्ण करते है। इस मन्दिर में करीब 546 बिम्ब प्रतिष्ठित है। वर्तमान में मन्दिर में अनेक प्रकार के नवीन कार्य चल रहे हैं जिनसे यह मन्दिर और भी सुन्दर हो गया है। जैकी स्टूडियो, 13-मंगलपुरा स्ट्रीट, झालावाड़ (रजि.) 326001 पुस्तकीय एवं चर्चा सन्दर्भ1. श्री आदिनाथ दिगंबर अतिशयक्षेत्र चांदखेड़ी स्मारिका 1987, पृष्ठ-2 2. भारत के दिगंबर जैन तीर्थ, चौथा भाग, बलभद्र जैन-1978, पृष्ठ-31 3. बघेरवाल जाति का इतिहास डा. विद्याधर जोहरापुरकर-2001 पृष्ठ-77 (श्री निखिलेश सेठी- विनोद भवन झालरापाटन से प्राप्त तदर्थ आभार) 4. जैन संस्कृति कोष-प्रथम भाग (एनसाईक्लोपिड़िया) भागचद जैन, पृष्ठ-521 5. कोटा राज्य का इतिहास-प्रथम भाग- डा. एम.एल. शर्मा, पृष्ठ-220 6. मन्दिर की विजिटर बुक-1988 ई. 7. मन्दिर में लगा अभिलेख
SR No.538060
Book TitleAnekant 2007 Book 60 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2007
Total Pages269
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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