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________________ अनेकान्त 60/1-2 निष्फल ही रहा । अतः नदी के पश्चिमी भू-भाग पर उक्त मन्दिर का निर्माण करवाया गया। उस समय बादशाह औरंगजेब ने अपने अधिकृत साम्राज्य में मन्दिर बनवाने की सख्त मनाही करवा रखी थी । उसने सैंकड़ों देवालयों को ध्वस्त करवा दिया था और जिन लोगों ने नये मन्दिर बनवाने के प्रयास किये, उन पर अत्याचार किये जाते थे तब चाँदखेड़ी में मन्दिर बनाने की खबर औरंगजेब जैसे बादशाह से कैसे छिपी रह सकती थी? परन्तु उस समय वह भारत के दक्षिणी प्रदेश के युद्धों में उलझा हुआ था और राजपूतों के साथ उसकी कुछ वर्षों पूर्व 1 लड़ाई हुई थी। इसके अलावा उसी समय कोटा के महाराव किशोर सिंह हाड़ा तन-मन से औरंगजेब के साथ युद्ध में सहयोगी थे। इसी कारण से उसने चांदखेड़ी के निर्माणाधीन मन्दिर की ओर ध्यान नहीं दिया । ठीक ऐसे समय में हाड़ौती में मन्दिर निर्माण का काम कोटा के शासकों के हेतु मुगल दरबार में प्रतिष्ठा का परिचायक है। उक्त जैन मन्दिर वाला क्षेत्र कोटा राज्य के आधीन था। इससे पूर्व कोटा के हाड़ा राजपूत शासकों ने अकबर, जहांगीर शाहजहॉ व औरंगजेब जैसे शासकों के लिए अपनी जान जोखिम में डालकर उनके पक्ष में युद्ध किये थे इस कारण मुगल बादशाह कोटा के हाड़ा शासकों से काफी प्रभावित थे और उन्हें महत्वपूर्ण पद प्रदान किये थे। लेकिन फिर भी अजमेर का सूबेदार बार-बार अपने अहदियों को कोटा राज्य में भेजकर ताकीद किया करते था कि- “मन्दिर बनवाना बंद किया जाये।" इस समय चूंकि औरंगजेब सुदूर दक्षिण में था और अजमेर के सूबेदार को येन-केन प्रकारेण सन्तुष्ट रखना असंभव था फिर भी किशनदास मड़िया को रह-रह कर यह भय था कि किसी दिन यह मन्दिर न तुड़वा दे । इसलिये उन्होंने तरकीब से इस मन्दिर को विचित्र तरीके से मस्जिदा- कार रूप में निर्मित करवाया अर्थात् मूल मन्दिर जमीन के भू-गर्भ में ही बनवाया । क्षेत्र के द्वार से प्रवेश करने पर एक किलेनुमा अहाता जिसकी बाहरी बनावट मस्जिदाकार है, मूलतः यह उस समय मुस्लिम आक्रमणकारियों से बचाव का प्रयास थी, जिससे वे इसे मस्जिद समझ 48
SR No.538060
Book TitleAnekant 2007 Book 60 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2007
Total Pages269
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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