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________________ 38 अनेकान्त 60/3 3. अचौर्याणुव्रत 4. स्वदार संतोषाणुव्रत (ब्रह्मचर्याणुव्रत) 5. परिग्रह परिमाणाणुव्रत गुणव्रत- 1. दिग्विरति व्रत 2. अनर्थदण्ड व्रत 3. भोगोपभोग परिमाण व्रत शिक्षाव्रत- 1. देशावकाशिक व्रत 2. सामायिक व्रत 3. प्रोषध व्रत 4. अतिथि संविभाग व्रत द्वितीय प्रतिमा धारी श्रावक गाय, बैल आदि जानवरों के द्वारा आजीविका न करे। अपने उपयोग में लेने पर बाँधे अथवा निर्दयता से न बाँधे। रात्रि में चारों प्रकार के भोजन का त्याग करे। पाक्षिक श्रावक रात्रि में जल, औषधि वगैरह आदि ले सकता है परन्तु व्रती श्रावक नहीं। जमीन आदि में गड़ा धन नहीं लेता तथा अपने धन में भी संदेह हो जाने पर उसको नहीं स्वीकारना चाहिए। द्विदल का सेवन (कच्चे गोरस के साथ) न करे तथा वर्षा काल में पत्ते की शाक-भाजी का सेवन नहीं करे। तथा वनजीविका, अग्निजीविका, शकटजीविका, स्फोटजीविका, भाटकजीविका, यन्त्रपीडन, निलांछन कर्म, असती पोष, सरःशोष, दवदान, विषव्यापार, लाक्षाव्यापार, दन्तव्यापार, केशव्यापार, रसव्यापार आदि क्रूर दयाविहीन कार्यों (खर कर्म) को न करे। प्राणिवध में निमित्त होने से भूमि, मकान, लोहा, गाय, घोड़ा आदि का दान न करे। तथा सम्यग्दर्शन के घातक सूर्यग्रहण में, चन्द्रग्रहण में, संक्रान्ति में और माता-पिता आदि के श्राद्ध में अपना द्रव्य दान न करे।।
SR No.538060
Book TitleAnekant 2007 Book 60 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2007
Total Pages269
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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