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________________ 15 अनेकान्त 60/3 2. वर्णव्यवस्था कर्म अर्थात् गुणों के आधार पर क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र इन तीन वर्णों की रचना कर श्रमविभाजन के विचार को क्रियान्वित किया जाता था। इन सबके लिए अलग-अलग रूप से आजीविका की व्यवस्था भी सुनिश्चित कर दी गई थी। 3. लिपि व संख्या का आविष्कार+5 वर्णमाला और अंकात्मक ज्ञान का न केवल विचार ही प्रस्तुत किया गया बल्कि उसकी व्यावहारिक शिक्षा भी प्रदान की गई। ऋषभदेव ने स्वयं अपनी पुत्री ब्राह्मी को लिपिज्ञान और पुत्री सुंदरी को अंकज्ञान कराया। इस प्रकार लिपि व संख्या का सर्वप्रथम प्रतिपादन कर शिक्षण, प्रशिक्षण, वैज्ञानिक तकनीकी एवं सामान्यज्ञान वृद्धि का मार्ग प्रशस्त किया। 4. आर्थिक समानता का विचार* ____ आदिपुराण में पुत्रों व पुत्रियों को पैतृक सम्पत्ति का समान उत्तराधिकारी घोषित किया जाना यह सिद्ध करता है कि तब आर्थिक समानता को प्रोत्साहन दिया जाता था। इस विचार को स्वयं ऋषभदेव ने अपने परिवार से ही प्रारम्भ किया। 5. करारोपण का विचार" करारोपण का विचार बहुत स्पष्ट, सुविधाजनक, उत्पादक एवं अनिवार्य था। इस कर विचार के अनुसार दुधारू गाय को बिना पीड़ा पहुँचाये दूध दुहकर सुखी व प्रसन्न गाय एवं ग्वाले के समान ही राजा को प्रजा से उसे बिना पीड़ा पहुँचाये कर ग्रहण करना चाहिए। इससे प्रजा भी सुखी व प्रसन्न रहती है तथा राज्य के लिए पर्याप्त धन भी सहजता से मिल जाता है। न्यायमंशं ततो हरेतु से स्पष्ट है कि उसे न्यायपूर्ण उचित अंश ही लेना चाहिए।
SR No.538060
Book TitleAnekant 2007 Book 60 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2007
Total Pages269
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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