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________________ अनेकान्त 59/3-4 M स्मृति, संज्ञा- प्रत्यभिज्ञान, चिन्ता- तर्क और अभिनिबोध- अनुमान को मतिज्ञान के अन्तर्गत प्रमाणान्तर मानकर एवं उन्हें परोक्ष प्रमाण कहकर प्रमाण भेद व्यवस्था के लिए उन्होंने उत्तरवर्ती सभी जैन तार्किकों का मार्ग प्रशस्त किया। समन्तभद्र के ग्रन्थों में पंचज्ञानों में केवलज्ञान के अतिरिक्त अन्य ज्ञानों का स्पष्ट उल्लेख नहीं मिलता। तत्त्वार्थसूत्रकार की तरह उन्होंने प्रत्यक्ष और परोक्ष के रूप में प्रमाण का वर्गीकरण भी नहीं किया। उनका वर्गीकरण आगमिक परम्परा के अनुसार विषयाधिगम के क्रम और अक्रम पर आधारित था। इस प्रकार समन्तभद्र की दृष्टि में प्रमाण का प्रथम भेद युगपतसर्वभासनरूप तत्त्वज्ञान- केवलज्ञान और दूसरा प्रमाण भेद स्याद्वाद नय से संस्कृत क्रमभावी ज्ञान है। ध्यातव्य है कि समन्तभद्र ने केवलज्ञान को साक्षात् ओर स्याद्वाद को असाक्षात् कहा। इसके वृत्तिकार आचार्य वसनन्दि का मत है कि स्याद्वाद और केवलज्ञान ये दो प्रमाण हैं। उन्होंने साक्षात् का अर्थ प्रत्यक्ष और असाक्षात् का अर्थ अप्रत्यक्ष किया है। अकलंक द्वारा भी समन्तभद्रोक्त प्रमाण भेद की व्याख्या में प्रत्यक्ष और परोक्ष भेदों की और संकेत किया गया जान पड़ता है। प्रत्यक्ष और परोक्ष प्रमाण के अन्तर्गत मति आदि ज्ञानों के विभाजन विषयक तत्त्वार्थसूत्रकार की अवधारणा के अनुकरण की स्पष्टोक्ति समन्तभद्र की व्याख्या के प्रसंग में अकलंक की दृष्टि भी अनुत्तरित प्रतीत होती है। समन्तभद्र ने केवलज्ञान की पूर्ण प्रत्यक्षता को ध्यान में रखकर लौकिक दृष्टि से प्रत्यक्ष प्रमाण की सीमा बाह्य अर्थ तक विस्तृत कर दी। सूक्ष्म, अन्तरित और दूरवर्ती पदार्थ अनुमेय होने से किसी के प्रत्यक्ष हैं, जैसे - अग्नि आदि।" यहां समन्तभद्र द्वारा प्रयुक्त प्रत्यक्ष पद स्पष्ट रूप से अतीन्द्रिय प्रत्यक्ष प्रमाण के साथ इन्द्रिय प्रमाण की ओर भी संकेत करता है। स्वयम्भूस्तोत्रम् में आये दृष्ट और प्रत्यक्ष पद प्रत्यक्ष प्रमाण माने जाने की ओर स्पष्ट संकेत करते हैं।5 विकसित प्रमाण युग में पाया जाने वाला अनुमान का सम्पूर्ण विवेचन क्रमभावी ज्ञान परोक्ष प्रमाण के अन्तर्गत, समन्तभद्र के ग्रन्थों में पाया जाता है।
SR No.538059
Book TitleAnekant 2006 Book 59 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2006
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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