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पंडितप्रवर श्री सुमेरुचन्द दिवाकर की दृष्टि में भगवान महावीर की जन्मभूमि
__-डॉ. राजेन्द्र कुमार बंसल बौद्धिक प्रतिभा एवं प्रमाणिकता के धनी विद्वान् पंडित प्रवर श्री समेरुचन्द्र जी दिवाकर सिवनी ने भ. महावीर की जन्मभूमि की प्ररूपणा दि. जैन आगम एवं जैनेत्तर साहित्य के संदर्भ में अमर कृति 'महाश्रमण महावीर' में की है। 'महाश्रमण महावीर' का प्रकाशन सन् 1968 में हुआ था। इसका पुर्नमुद्रण वर्ष 2002 में दि. जैन त्रिलोक शोध संस्थान हस्तिनापुर एवं तीर्थंकर ऋषभ देव जैन विद्वत् महासंघ के सौजन्य से हुआ। पुस्तक में आमुख सहित 21 अध्याय हैं। अठारहवाँ अध्याय 'दया के देवता का अवतरण है, जो विवेच्य है। इसकी मान्यता दि. जैन आगम की निष्ठा/श्रद्धा है।' ___ आमुख के पृष्ठ 3 में 'जीवनी' के अर्न्तगत पं. जी ने स्पष्ट लिखा है कि भगवान् महावीर का जन्म बिहार प्रान्त के विदेह देश के कुण्डपुर नगर में ईसा पूर्व 599 में हुआ था-'सिद्धार्थनृपतितनयो भारतवास्ये विदेह-कुण्डपुरे' (आचार्य पूज्यपाद (देवनन्दि) दशभक्तिसंग्रह, निर्वाण भक्ति-4)।' जयधवला पृष्ठ 78 के संदर्भ "कुण्डपुरपुरवरिस्सर- सित्तत्थक्ख द्वियस्य णाहकुल" के अनुसार भगवान् महावीर का जन्म नाथकुल में हुआ था। उनके पिता को कुण्डपुर के स्वामी सिद्धार्थ क्षत्रिय लिखा है।
अध्याय अठारह ‘दया के देवता का अवतरण' नाम से है। पृष्ठ 118 में ‘कुण्डपुर का भाग्य' शीर्षक में हरिवंशपुराण में उसे सुख रूपी जल से परिपूर्ण कुण्डतुल्य कहा हैसुखांभः कुंडमाभाति नाम्ना कुंडपुरं पुरम् ।। (सर्ग-2, श्लोक-5)।
कुण्डलपुर-तिलोयपण्णत्ति में कुण्डपुर का नाम कुण्डलपुर आया हैकुण्डले वीरो (549-4)