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________________ अनेकान्त-58/1-2 (वे कुन्दकुन्द गणी रक्षा करें, जिन्होंने कलियुग में ऊर्जयन्त (गिरनार) पर्वत पर पाषाण से बनी हुई ब्राह्मी देवी को भी बुलवा दिया।) इसी प्रकार शुभचन्द्राचार्य की गुर्वावली में भी उल्लेख हुआ है। कवि वृन्दावन ने इस घटना का स्पष्ट उल्लेख किया है। उन्होंने लिखा है कि एक बार कुन्दकुन्दाचार्य ससंघ गिरनार पर्वत गये। वहाँ पर श्वेताम्बरों से उनका विवाद हो गया। दिगम्बर और श्वेताम्बरों ने अंबिका नामक देवी को अपना मध्यस्थ बनाया। देवी के प्रकट होकर दिगम्बर और श्वेताम्बर दोनों ही के ग्रन्थों में यद्यपि गिरनार पर्वत के ऊपर विवाद होने के विवरण मिलते हैं। किन्तु कुन्दकुन्द के समय में कभी इस प्रकार के विवाद होने का उल्लेख नहीं मिलता है। शुभचन्द्र की गुर्वावली के अन्तिम श्लोकों में बलात्कारगण के प्रधान पद्मनन्दि मुनि को नमस्कार करते हुए कहा गया है कि उन्होंने ऊर्जयन्त पर्वत पर सरस्वती की मूर्ति को बुलवा दिया था। ऐसा लगता है कि शुभचन्द्राचार्य ने भी कुन्दकुन्द-पद्मनन्दि और बलात्कारगणीय पद्मनन्दि को भ्रान्तिवश एक समझ लिया और इस घटना का उल्लेख कर दिया है। इस प्रकार कुन्दकुन्दाचार्य के विषय में प्रचलित दोनों ही अनुश्रुतियाँविदेहगमन और गिरनार विवाद सत्य प्रतीत नहीं होती हैं। __इनके अतिरिक्त आचार्य कुदकुन्द के गद्धपिच्छ नाम पड़ने के कारण के रूप में भी एक अनुश्रुति प्रचलित है। यह नाम विभिन्न शिलालेखों में एवं ग्रन्थों में तत्त्वार्थसूत्र के रचयिता आचार्य उमास्वामी (उमास्वाति) के लिए भी प्रयुक्त मिलता है। कुन्दकुन्दाचार्य के गृद्धपिच्छ नाम पड़ने में वही किंवदन्ती कारण है, जिसके अनुसार विदेह क्षेत्र जाते समय आकाशमार्ग से कुन्दकुन्दाचार्य की मयूरपिच्छी नीचे गिर गई थी तथा बाद में उन्होंने मयूरपिच्छ न मिलने पर गृद्धपिच्छ धारण कर लिए थे। जैन मुनि संयम की रक्षा के लिए मयूरपिच्छी ही धारण करते है। गृद्धपिच्छ से तो संयम की रक्षा संभव ही नही है। इस किंवदन्ती में कोई दम नही है और यह कल्पित जान पड़ती है। क्योंकि यह पहले ही कहा जा चुका है कि शास्त्रीय मान्यता के अनुसार प्रमत्तसंयत मुनि औदारिक शरीर से अन्य क्षेत्र में गमन नहीं कर सकता है। जब कुन्दकुन्दाचार्य
SR No.538058
Book TitleAnekant 2005 Book 58 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2005
Total Pages286
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size9 MB
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