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________________ अनेकान्त-58/1-2 युक्तिसंगत भी है। अतः उसका सम्यक्तया परिपालन कर आत्म-कल्याण करना चाहिये। ग्रन्थ - सन्दर्भ 1. समीचीन धर्मशास्त्र, भाष्यकार-जुगलकिशोर मुख्तार 'युगवीर' प्रथम संस्करण, प्रका - वीर सेवा मन्दिर, दिल्ली, सन 1955 प्रस्तावना. पप्ट 371 2. श्रावकाचार संग्रह, चतुर्थभाग, सम्पा. एव अनु -सिद्धान्ताचार्य प. हीरालाल शास्त्री न्यायतीर्थ, प्रका - फलटण, प्रथम सस्करण, सन् 1979, ग्रन्थ और ग्रन्थकार परिचय, पृ 17। 3. जैन साहित्य और इतिहास पर विशद प्रकाश, लेखक - जुगलकिशोर मुख्तार 'युगवीर', प्रका - श्रीवीर शासन सघ, कलकत्ता, प्रथम सस्करण सन् 1956, पृष्ठ 172 । 4. वही, पृष्ठ 149 से 486 तक रत्नकरण्डकश्रावकाचार, हिन्दी रूपान्तरकार एव सम्पादक - पं. पन्नालाल 'वसन्त' साहित्याचार्य, प्रकाशक-वीर सेवा मन्दिर ट्रस्ट, वाराणसी, प्रथम सस्करण, सन् 1972, प्रस्तावना, पृष्ठ 91 6. चारित्रपाहुड, गाथा 51 7. वही, गाथा 20। 8. वही, गाथा 21 से 251 9. तत्त्वार्थसूत्र 7/1 10. निःशल्यो व्रती - तत्त्वार्थसूत्र 7/18 11. तत्त्वार्थसूत्र 7/17-38 12. रत्नकरण्डक श्रावकाचार, पद्य 150 13. द्रष्टव्य, आप्टेकृत संस्कृत-हिन्दी कोश 14. रत्नकरण्डक श्रावकाचार, पद्य 41 15. तत्त्वार्थसूत्र 1/10 16. यशस्तिलक चम्पू 17. आचार्य समन्तभद्र संगोष्ठी, सम्पादक - प्राचार्य नरेन्द्रप्रकाश जैन एव डॉ जयकुमार जैन, प्रकाशक - आचार्य शान्तिसागर (छाणी) स्मृति ग्रन्थ माला में प्रकाशित रत्नकरण्ड तथा अन्यान्य श्रावकाचार : प्रो राजाराम जैन, पृष्ठ 32 18. तत्त्वार्थसूत्र 7/2-12
SR No.538058
Book TitleAnekant 2005 Book 58 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2005
Total Pages286
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size9 MB
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