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________________ 126 अनेकान्त-58/1-2 अपने हृदय की वेदना व्यक्त करते हुए पत्रकार एवं पत्रिका के विषय में भाषण दिया था। आपने खेद के साथ कहा कि इस समय सम्पूर्ण जैन समाज में लगभग 200 पत्रिकायें छपती हैं अकेले दिगम्बर जैन समाज में छपने वाली पत्रिकाओं की संख्या लगभग 100 है। पर विचारिए पत्रिका की परिभाषा- “उत्तरदायित्व, अपनी स्वतंत्रता, सभी दबाबों से परे रहना, सत्यता प्रकट करना, निष्पक्षता, समान व्यवहार एवं समान आचरण" की कसौटी पर आज की कितनी पत्रिकायें खरी उतर सकती हैं। हमारे कितने पत्रकार, लेखक भाई पत्रकारिता के इन कर्तव्यों का निर्वाह कर पा रहे हैं। अधिकांश पत्रिकायें तो व्यक्ति या पक्ष विशेष की प्रशंसाओं से ही भरी रहती हैं। ___ श्री अजित प्रसाद जी जैन दर्शन, जैन सिद्धान्त के अच्छे जानकार थे। जैन दर्शन के जानकार होने से ही आपकी लेखनी केवल सामाजिक विषयों तक सीमित न होकर दर्शन क्षेत्र के गूढ़ रहस्योदघाटन में भी सफल रही। शोधादर्श के नवम्बर 2001 के अंक में आपने पार्श्वगिरि पर आचार्य प्रतिमाओं की स्थापना के समाचार मिलने पर लिखा था कि- आचार्यो/मुनियों की तदाकार प्रतिमाओं की विधिवत प्राण-प्रतिष्ठा कर जिन मंदिर में विराजमान करना बीसवीं शती के उत्तरार्द्ध की ही देन है। इन साधु प्रतिमाओं की प्राण-प्रतिष्ठा के क्या अर्थ हैं, हम जैसे अल्पज्ञों की सामान्य बुद्धि के लिए अगम्य है। ___ शोधादर्श नवम्बर 2002 के सम्पादकीय-‘मंगलम् पुष्पदंतायो, जैन धर्मोस्तु मंगलम्' में आपके व्यंगात्मक शैली में लिखे गए सजग दूरदर्शी विचार सभ्य समाज की रक्षा के लिए सजग प्रहरी के समान हैं। मार्च 2002 के अंक में आपने विद्वत् परिषद के विखराव की व्यथा भी लिखी थी। आप धर्म परायण थे अतः आप आगम के मूल रूप में छद्म परिवर्तन करने वालों से समाज को सजग करने का अपना कर्तव्य आखिर तक निर्वहन करते रहे। ____ श्री अजित प्रसाद जी सच्चे मुनि भक्त थे। आप केवल आगमानुकुल चर्यारत गुरुओं के प्रति अनन्य श्रद्धा रखते थे। आपकी स्पष्ट मान्यता थी कि समाज सुधार धर्मगुरुओं के माध्यम से ही हो सकता है। समाज सुधार में धर्मगुरुओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका हो लेख में आपने लिखा है कि- आज
SR No.538058
Book TitleAnekant 2005 Book 58 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2005
Total Pages286
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size9 MB
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