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________________ अनेकान्त-58/1-2 99 उससे भी पूर्व का काल शुद्ध प्रागैतिहासिक (Prehistoric) है और इतिहास की परिधि के बाहिर है। शुद्ध ऐतिहासिक काल के भी तीन विभाग किये जाते हैं (1) प्राचीन युग, जिसका वर्णन बौद्ध-हिन्दुयुग, अथवा केवल बौद्धयुग करके भी किया जाता है। यह युग नियमित इतिहास के प्रारम्भ काल से लगाकर मुसलमानों द्वारा भारत विजय तक चलता है (ई0 सन् की 12वीं शताब्दी तक)। (2) मध्य युग- जिसे मुस्लिम युग भी कहते हैं, प्राचीन युग की समाप्ति से प्रारम्भ होकर अगरेजों की भारत विजय तक चलता है। (18वीं शताबदी के मध्य तक)। (3) अर्वाचीन युग अथवा आंग्लयुग अगरेजों की भारत विजय के साथ प्रारंभ होता है। साधारणतया, भारतीय इतिहास की पाठ्य पुस्तकों में सर्व प्रथम प्रागैतिहासिक कालीन पूर्व पाषाण युग, उत्तर पाषाणयुग, ताम्रयुग, लौहयुग, द्राविड़ जाति का भारतप्रवेश तथा उसकी सभ्यता, आर्यों का भारतप्रवेश और वैदिक सभ्यता आदि का अति संक्षिप्त वर्णन करने के उपरान्त रामायण तथा महाभारत के आधार पर कल्पित पौराणिक युग अथवा 'महाकाव्य-काल' (Epic Age) का वर्णन होता है। और उसके ठीक बाद भारतवर्ष के नियमित इतिहास का प्रारंभ बौद्धयुग के साथ-साथ कर दिया जाता है। महात्मा बुद्ध के समय की राजनैतिक तथा सामाजिक परिस्थिति, उनका जीवन-चरित्र, उपदेश और प्रभाव मगध-साम्राज्य का उत्कर्ष सिकन्दर महान् का आक्रमण, सम्राट अशोक के द्वारा बौद्धधर्मप्रचार, मगधराज्य की अवनति, शुङ्ग कन्व तथा गुप्त राजों के शासनकाल में आंशिक ब्राह्मणपुनरुद्वार और शक हूण आक्रान्ताओं का वृतान्त देते हुए ई. सन् की 7वीं शताब्दी में बौद्ध राजा हर्षवर्धन के साथ बौद्धयुग (Bubdhistic Period) की समाप्ति हो जाती है। तदुपरान्त राजपूत राज्यों का उदय तथा संक्षिप्त इतिवृत्त बतलाते हुए 12वीं शताब्दी के अन्त में मुहम्मद
SR No.538058
Book TitleAnekant 2005 Book 58 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2005
Total Pages286
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size9 MB
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