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________________ अनेकान्त-57/1-2 समस्त प्रजा के पारगामी हौ। राजाकूँ प्रजा ही आनन्द का कारण है। राजा वही जाहि प्रजा शरद के पूनों के चन्द्रमा की न्याई चाहे।" यह ग्रन्थ पद्मपुराण भाषावचनिका नाम से सर्वप्रथम कलकत्ता से प्रकाशित हुआ था, जो पत्राकार था तथा मन्दिर-मन्दिर में इसी की वचनिका होती थी। बाद में यह पुस्तकाकार रूप में लोहारिया (राजस्थान) से श्री भारतवर्षीय अनेकान्त विद्वत् परिषद् द्वारा भी प्रकाशित किया गया है। सन् 1928-1929 में रविषेणाचार्यकृत पद्मपुराण का एक संस्करण पद्मचरित नाम से बिना हिन्दी अनुवाद के मात्र संस्कृत में माणिक चन्द्र दिगम्बर जैन ग्रन्थमाला मुम्बई से प्रकाशित हुआ है। इसके सम्पादक श्री पं. दरबारीलाल न्यायतीर्थ हैं तथा इस पर श्री पं. नाथूराम प्रेमी की भूमिका है। यह तीन भागों में प्रकाशित है। यद्यपि इसके सम्पादन में बहुत सावधानी नहीं बरती गई है तथा कदाचित् एक ही हस्तप्रति का उपयोग किया गया है तथापि श्री पं. पन्नालाल जी साहित्याचार्य का संस्करण का मूल आधार यही संस्करण प्रतीत होता है। मुम्बई के इस संस्करण के आधार पर श्री पं. लालाराम जी ने सर्वप्रथम पूरा हिन्दी अनुवाद किया तथा उसे प्रकाशित कराया। मूल संस्कृत पाठ में पाठान्तरों का समीचीन उपयोग न हो पाने से भले ही कहीं-कहीं अनुवाद पूरी तरह संगत सा नही लगता है किन्तु पं. पन्नालाल जी कृत हिन्दी अनुवाद का मूल आश्रय इसी अनुवाद को कहा जाना चाहिए। पं. लालाराम जी ने 100 से अधिक ग्रन्थों का हिन्दी अनुवाद किया था। 4 जनवरी 1962 को 76 वर्ष की आयु में आदरणीय पं. जी ने अपना नश्वर शरीर त्याग दिया था। पं. जी सा. के अनेक अनुवाद आज भी उनके फिरोजाबाद के गोपालनगर स्थित गृह में पौत्रों के पास अप्रकाशित पड़े हैं। विद्वानों की इस ओर दत्तावधानता आवश्यक है। पद्मपुराण का चौथा संस्करण श्री पं. पन्नालाल जी साहित्याचार्यकृत हिन्दी अनुवाद के साथ भारतीय ज्ञानपीठ काशी से तीन भागों में 1958-1959 ई. में प्रथम बार प्रकाशित हुआ था, जिसकी द्वितीय आवृत्ति भारतीय ज्ञानपीठ नई दिल्ली से 2002 एवं 2003 ई. में प्रकाशित हुई है। पूर्ववर्ती संस्करणों के साथ
SR No.538057
Book TitleAnekant 2004 Book 57 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2004
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size9 MB
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