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________________ अनेकान्त-57/1-2 है। भावनाशतक में अन्तिम 100 वें श्लोक में अनुष्टुप् तथा शेष में आर्याछन्द है। सम्पूर्ण सुनीतिशतक उपजाति छन्द में तथा सम्पूर्ण निरञ्जनशतक द्रुतविलम्बित छन्द में निबद्ध है। सभी अष्टाक्षर वृत्तों की अनुष्टुप् संज्ञा है। किन्तु अनुष्टुप नाम से वही छन्द विशेष प्रचलित है, जिसके चारों पादो का षष्ठ अक्षर गुरु, पंचम लघु, द्वितीय चतुर्थ पादों में सप्तम अक्षर लघु तथा प्रथम-तृतीय पादों में गुरु होता है।इन्द्रवज्रा एवं उपेन्द्रवज्रा (एकादशाक्षर) आदि छन्दों के मिश्रण को उपजाति छन्द कहते हैं। 18 जिस छन्द में चारों चरणों में क्रमशः नगण, दो भगण एवं रगण होता है। उसे द्रुतविलम्बित छन्द कहते हैं। आचार्य विद्यासागरकृत शतक काव्यों में मात्र इन चार छन्दों का प्रयोग किया गया है। छन्दों के प्रयोग में विजय वर्णी ने कवि आदि के अनिष्ट के परिहार के लिए वर्णो की शुद्धि आवश्यक मानी है। वर्णो में कुछ वर्ण अनिष्टकारक और कुछ वर्ण शुभफलदायक माने गये है। अजितसेन ने भी इस विषय में विजयवर्णी का ही अनुकरण किया है। आचार्य विद्यासागर ने श्रमणशतक का प्रारंभ 'श्रीवर्धमान-' निरजनशतक का प्रारंभ 'सविनयं-' भावनाशतक का प्रारंभ 'साधव इह', परिषहजय शतक का प्रारंभ 'शिवसुखं' तथा सुनीतिशतक का प्रारंभ 'जिनवरा' से किया है। प्रारंभ में प्रयुक्त श एवं स वर्ण सुखदायक तथा ज वर्ण मित्रलाभकारक माना गया है। श्रमण शतक के प्रारंभ में तगण, भावना शतक के प्रारंभ में भमण तथ शेष तीनों शतक काव्यों के प्रारंभ में तगण का प्रयोग है। तगण का देवता आकाश तथा इसका फल लक्ष्मी किंवा मोक्षलक्ष्मी है। आकाश अनन्त का प्रतीक है। भगण का देवता सौम्य तथा फल सुख है। नगण का देवता गौ तथा फल धन किंवा रत्नत्रय की प्राप्ति है। गौ वात्सल्य की प्रतीक है। इससे स्पष्ट है कि आचार्यश्री ने वर्णो की सुखदुःखात्मकता एवं गणों की शुभाशुभता के विषय में सावधानी रखी है। विषयवर्णी के अनुसार काव्य का प्रारंभ आशीर्वादात्मक, वस्तुनिर्देशात्मक एवं नमस्क्रियात्मक त्रिविध मंगलाचरणों में से किसी मंगलाचरण से होना चाहिए।" आचार्य विद्यासागर जी महाराज ने इस नियम का पूर्ण ध्यान रखा है।
SR No.538057
Book TitleAnekant 2004 Book 57 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2004
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size9 MB
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