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अध्यात्म-पद
तन कारन मिथ्यात दिये तजि, क्यों करि देह धरेंगे।
अब हम अमर भए, न मरेंगे।
उपजै मरै काल तैं प्राणी, ताक् काल हरेंगे। राग दोष जगबंध करत हैं, इनको नास करेंगे।।
अब हम अमर भए, न मरेंगे।
देह विनासी मैं अविनासी, भेद ग्यान करेंगे। नासी जासी हम थिर वासी, चोखे हो निखरेंगे।
अब हम अमर भए, न मरेंगे।
मरे अनंतबार बिन समझै, अब सब दुःख विसरेंगे। द्यानत निपट निकट दो, अक्षर बिन सुमरै सुमरेंगे।।
अब हम अमर भए, न मरेंगे।
-कविवर द्यानतराय
| वीर नेता भी काम 12.6952/2