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वीर सेवा मंदिर - अनेकान्त
का त्रैमासिक प्रवर्तक : आ. जुगलकिशोर मुख्तार 'युगवीर'
इस अंक में
वर्ष-57. किरण-1-2
जनवरी-जून 2004 कहाँ/क्या? 1. अध्यात्म-पद - कविवर द्यानतराय ।
सम्पादक :
डॉ. जयकुमार जैन 2 सम्पादकीय
261/3, पटेल नगर 3. 'लघुतत्त्वस्फोट' के परिप्रेक्ष्य में आचार्य अमृतचन्द्र सूरि
मुजफ्फरनगर (उप्र) ___ के कृतित्व का वैशिष्ट्य -डॉ श्रेयास कुमार जेन ।
फोन: (0131) 26103730 4. पदार्थों के परिज्ञान द्वारा आत्मानुभूति की प्रक्रिया -डॉ राजेन्द्र कुमार वसल 18 |
परामर्शदाता : 5. प्राचीन संस्कृत साहित्य में राजा की समस्याएँ
पं. पद्मचन्द्र शास्त्री -डॉ मुकेश बसल 34
सस्था की 6. बीसवीं शती के संस्कृत साहित्य में आचार्य विद्यासागरजी
आजीवन सदस्यता · का योगदान -डॉ जय कुमार जैन 39
1100/7. कर्मवाद एव ईश्वरवाद : स्वरूप एव समीक्षा :
वार्षिक शुल्क जैन-दर्शन के संदर्भ में -डॉ अशोक कुमार जेन 59
30/8. वैयाकरण फूज्यपाद और सर्वार्थसिद्धि -डॉ कमलेश कुमार जेन 70 इस अक का मूल्य 9 सल्लेखना : एक विश्लेषण -डॉ बसन्तलाल जैन 78
10/10. जीवन की सरलता ही मृदुता है -प्रो भागचन्द्र जैन 85 | सदस्यो व मंदिरो के 11 पद्मपुराण के विविध संस्करण एव पं. पन्नालाल जी साहित्याचार्य लिए निःशुल्क __ की सम्पादन कला का वैशिष्ट्य -झां जय कुमार जेन 92
प्रकाशक • 12. सराग और वीतराग सम्यग्दर्शन
| भारतभूषण जैन, एडवोकट
-डॉ रमेशचन्द जैन 991 13. पचास वर्ष पूर्व
मुद्रक : धवलादि-श्रुत परिचय आचार्य प जुगलकिशोर मुखार 105 ||मास्टर प्रिन्टर्स-110032
विशेष सूचना : विद्वान् लेखक अपने विचारों के लिए स्वतन्त्र है। यह आवश्यक नही कि सम्पादक उनके विचारो से सहमत हो।
वीर सेवा मंदिर
(जैन दर्शन शोध संस्थान) 21, दरियागंज, नई दिल्ली -110002. दूरभाष : 23250522 सस्था को दी गई सहायता राशि पर धारा 80-जी के अतर्गत आयकर मे छूट
(रजि. आर 10591/62)