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________________ मुगल साम्राज्य की अहिंसा इतिहास के पन्नों में -सुरेशचन्द्र जैन, वारोलिया भारतवर्ष में जैन समाज अपनी समर्पित निष्ठा एवं धर्माचरण के लिए इतिहास में प्रसिद्ध रहा है। जैन धर्मानुयायियों ने अपने आचरण एवं व्यवहार में एकरूपता का प्रदर्शन करके भारतीय समाज के सभी वर्गों का स्नेह अर्जित किया है। इतिहास में कुछ अपवाद भी होते हैं। कभी-कभी कठोर शासक सत्ता में आ जाते हैं और वे राजसत्ता का प्रयोग अपने धर्म प्रचार के लिए अन्य धर्मावलम्बियों की धार्मिक मान्यताओं पर प्रहार भी करते रहे हैं। जैन आचार्यों एवं मुनियों ने सदा से प्राणी मात्र के कल्याण के लिए अपना पावन सन्देश दिया है। हृदय की गहराई से निकली हुई भावना समादर की दृष्टि से देखी जाती है। मुसलमान जब भारत आये तब वे इस देश की परम्पराओं एवं मान्यताओं से परिचित नहीं थे। वे अपने विभिन्न जलवायु एवं भोगोलिक स्थिति के देश से आये थे। मांसाहारी होने के कारण मुस्लिम शासक पशु रक्षा के लिए इतने सचेष्ट नहीं थे जितने मुगल शासक थे। इस युग में मुगल शासक पूरी तरह से भारतीयता के रंग में रंग गये थे। भारत में मुगल शासन की नीव डालने वाला बाबर बहुत ही उच्च चरित्र एवं उदार विचारो का शासक था। इतिहासकारो ने हिन्दु-मुस्लिम सांस्कृतिक एकता के इतिहास का विस्तृत वर्णन किया है। बाबर ने हुमायूं के लिए एक वसियतनामा लिखा था। "भारत के अनेको भागों में सभी धर्मों के लोग निवास करते हैं। उनकी भावना का ध्यान रखना। गाय को हिन्दु पवित्र मानते है अतः गोवध नहीं करना तथा किसी के पूजा के स्थान को नष्ट नहीं करना।" बाबर की इस वसियत का पालन अकबर-जहांगीर तथा शाहजहाँ ने भी किया था। इस निष्पक्ष नीति का पता पुर्तगाली यात्री सेवाश्चियन मानदिक के एक विवरण से पता चलता है। हुमायूं के पास 50
SR No.538057
Book TitleAnekant 2004 Book 57 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2004
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size9 MB
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