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________________ अनेकान्त-57/3-4 यह ज्ञात होता है कि साधु को एक स्थान पर ही रहने का विधान नहीं है, वह तो एक गांव से दूसरे गॉव या एक नगर से दूसरे नगर में जाता रहता है, मूलाचार में कहा है-गांव में एक दिन तथा नगर में पांच दिन अधिक से अधिक रहकर विहार कर जाता है जैसा कि आचार्य सकलकीर्ति ने लिखा है-प्रासुक स्थान में रहने वाले विविक्त एकान्त स्थान में निवास करने वाले मुनि किसी गांव में एक दिन रहते हैं और नगर में पांच दिन रहते हैं। चर्यापरीषह के वर्णन प्रसंग में यही बात भट्टाकलंकदेव ने कही है।' श्वेताम्बर साहित्य में भी यही बात आयी है। निर्ग्रन्थमुनि को एक स्थान पर रहने की अनुमति नहीं दी गई है। वह तो भारुण्ड पक्षी की तरह अप्रमत्त होकर ग्रामानुग्राम विहार करता है। विहार की दृष्टि से काल दो भागों में विभक्त है एक वर्षाकाल और दूसरा ऋतुबद्ध काल। वर्षाकाल में श्रमण को साढ़े तीन माह या चार माह तक एक स्थान पर रुकना चाहिए। हाँ कार्तिक कृष्णा अमावस्या को चातुर्मास पूर्ण हो जाय तो कार्तिक शुक्ला पञ्चमी तक तो अवश्य उसी स्थान पर रुकना चाहिए इसके बाद कार्तिक पूर्णिमा तक भी धर्मप्रभावना या अन्य अपरिहार्य कार्यवश उसी स्थान पर साधु रुक सकते हैं।' दूसरा ऋतु काल है जिसमें स्वाध्याय आदि के निमित्त गुरु आज्ञापूर्वक एक माह रुकने का भी विधान है। कहा भी है-वसन्तादि छहों ऋतुओं में से प्रत्येक ऋतु में एक मास पर्यन्त ही एक स्थान पर साधु रहे। अनगार धर्म 9/68-69 वर्षाकालस्य चतुर्षु मासेषु एकत्रैवावस्थानं भ्रमणत्यागः।। भ. अ. वि. टी. 421 अर्थात् वर्षाकाल के चार माहों में भ्रमण का त्यागकर एक ही स्थान पर आवास करना चाहिए। ___ वर्षा ऋतु में चार माह एक स्थान पर रुकने का कारण है, वर्षा ऋतु में चारों ओर हरियाली होने से मार्गो के अवरुद्ध होने तथा पृथिवी त्रस-स्थावर जीवों की संख्या बढ़ जाने से संयम आदि का पालन कठिन हो जाता है। अनगारधर्मामृत में वर्षावास के सम्बन्ध में कहा है कि-आषाढ़ शुक्ला चतुर्दशी की रात्रि के प्रथम प्रहर में चैत्यभक्ति आदि करके वर्षायोग ग्रहण करना चाहिए तथा कार्तिक कृष्णा चतुर्दशी की रात्रि के पिछले प्रहर में चैत्यभक्ति आदि करके वर्षायोग छोड़ना चाहिए। अनगारधर्मामृत 9/68-69
SR No.538057
Book TitleAnekant 2004 Book 57 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2004
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size9 MB
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