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________________ अनेकान्त-57/3-4 सात तत्वों में प्रयोजनभूत तत्व शुद्धात्मा रूप जीव तत्व ही है जो उपादेय, भजनीय और भाव करने योग्य है। जीव ही उत्तमगुणों का धाम है, सब द्रव्यों में उत्तम द्रव्य है और सब तत्वों में परम तत्व है, ऐसा निश्चय पूर्वक जानना चाहिये (कार्तिकेयानुप्रेक्षा गा. 204)। निश्च से आत्मा एक, शुद्ध, ज्ञानदर्शन रूप, अरूपी है। अन्य परद्रव्य परमाणु मात्र भी आत्मा का नहीं है (समयसार गाथा 38)। आत्मा का सौन्दर्य उसके ज्ञायक भाव में है क्योंकि वह अप्रमत्त या प्रमत्त रूप न होकर शुद्ध ही है (स. सार. गाथा 6)। जीव के साथ अज्ञान भाव के कारण अनादि काल से पुद्गल (अजीव) की पर्याय रूप द्रव्य कर्म और नोकर्मो का सम्बन्ध है। कर्मोदय से आत्मा में क्रोधादि विकारी भावों की उत्पत्ति होती है जो भाव कर्म कहलाते हैं। यह भी पुद्गल जन्य होने से जीव के स्वभाव भाव नहीं होते। इस कारण जीव की अशुद्ध परिणति दुःख-आकुलता रूप हो रही है। इस प्रकार द्रव्य कर्म, भाव कर्म और नोकर्म अजीव तत्व में सम्मलित हैं। मन-वचन-काय की शुभ-अशुभ रूप योग क्रिया से आत्म प्रदेशों का स्पन्दन होता है जो कर्मानव का कारण है। आचार्य कुन्दकुन्द के अनुसार मिथ्यात्व, अव्रति कषाय और योग से कर्मों का आश्रव होता है। आश्रव अशुचि अशरण और आकुलता रूप है। आत्मा और कर्माश्रव का सम्बन्ध बध्य-घातक जैसा है। आत्मा बध्य है और आश्रवभाव घातक है जैसे वृक्ष-लाख। आम्रव शुभ और अशुभ रूप होता है। रागादि से कर्म बंध होता है। जो पर द्रव्य को ग्रहण करता है वह अपराधी होता है, इस कारण बंध में पड़ता है। जो आत्मा अपगत राध अर्थात् राध (सिद्धि-आराधना) से रहित है वह आत्मा अपराध है (स. सा. 304)। निरपराध आत्मा निःशंक होता है। सापराध आत्मा अपने को अशुद्ध सेवन करता हुआ निरंतर अनंत कर्मों से बंधता है और निरपराध आत्मा शुद्धात्मा (जो शुद्ध आत्मा है सो ही मैं हूँ ऐसा भागवान् आत्मा) का सेवन करता हुआ बन्धन को कदापि स्पर्श नहीं करता (कलश 187)। कर्म बंध का मुख्य कारण किसी को मारने-जिलाने, दुःखी-सुखी करने रूप मिथ्या अभिप्राय और मोह-राग रूप बुद्धि है। (समयसार गा. 259-261)। बंध तत्व जीव और द्रव्य कर्मों के मध्य एकक्षेत्रावगाह रूप बंध की स्थिति दर्शाता है।
SR No.538057
Book TitleAnekant 2004 Book 57 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2004
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size9 MB
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