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अनेकान्त-57/3-4
कृष्ण-राधा के साथ-साथ शिव-पार्वती को भी चित्रित किया है। शिवपुराण के विभिन्न रूपों से सम्बन्ध रखते हुए हमें शिव के व्यक्तित्व के विषय में ज्ञान मिलता है। शिव को योगी एवं प्रेमी दोनों रूपों में चित्रित किया गया है। महान् ग्रन्थों, पुराणों, कथानकों आदि के आधार पर शिव एक भ्रमणशील, जंगलो व श्मशान भूमि के निवासी, जानवरों की चर्म व सर्पाभूषणों से सुसज्जित ध्यान मग्न पाये जाते हैं। वे अधिकाशतः नग्न एवं शरीर पर भस्म रमाये पाये जाते हैं। ___ भारतीय विचारधारा के अनुसार भगवान शिव' अन्तिम पुरुषत्व व उनकी पत्नी पार्वती अन्तिम स्त्रीत्व को प्रस्तुत करती है एवं उनका संयोग, मिलन अंतिम निर्माण कार्यो को प्रदर्शित करता है। पहाड़ी चित्रकारों ने शिव-पार्वती के इसी शृंगारिक जीवन, फारिवारिक जीवन को अपने चित्रों का विषय बनाया। शिव-पार्वती के विवाह एवं शृंगारिक जीवन का वर्णन कालिदास ने “कुमारसम्भवम्" में अत्यन्त सुन्दरता से किया है। उसी शब्दात्मक वर्णन का चित्रात्मक वर्णन हमें पहाड़ी चित्रकला में देखने को मिलता है। शिव से सम्बन्धित चित्रों को विशिष्टताओं के आधार पर दो भागों में बाँटा जा सकता है :- पहले वे चित्र जिनमें शिव सौम्य रूप में चित्रित है एवं दूसरे वे जिनमें उन्हें उग्र रूप में चित्रित किया गया है।
किन्तु पहाड़ी कलम की विभिन्न शैलियों में-कांगड़ा, गुलेर, गढ़वाल, बसौहली, चम्बा, मण्डी, नूरपुर-शिव के सम्बन्धित विभिन्न कथानकों का, नृत्यकार शिव, श्मशानचारी शिव, संगीतकार रागमाला में वर्णित शिव विभिन्न धार्मिक रीतियों को मिलाने वाले, पारिवारिक सदस्यों के साथ एवं शिव-पार्वती के अनेक श्रृंगारपूर्ण चित्रों को चित्रकारों ने चित्रित किया है। ___ पहाड़ी लघु चित्रशैलियों में शिव को सर्वाधिक उन रूपों में चित्रित किया है जिनमें वे अपने परिवार-पत्नी पार्वती, दो पुत्रों गणेश व कार्तिकेय के साथ हैं। कुछ चित्रों में सभी सदस्यों को अपने अपने वाहनो क्रमशः नंदी, सिंह, चूहा एवं मोर के साथ भी चित्रित किया गया है। शिव को पारिवारिक सदस्यों के रूप में भी दो प्रकार से चित्रित किया है-एक तो सामान्य सदस्य के रूप में