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________________ अनेकान्त-57/3-4 परवर्ती किन्ही भी जैन दार्शनिकों ने व्यवहार नय के अन्तर्गत नहीं लिया। यह समायोजन मल्लवादी का नितान्त मौलिक है। ऋजुसूत्र नय के अन्तर्गत पूर्ववर्ती तथा परवर्ती सभी दार्शनिकों ने बौद्धदर्शन को लिया, यहां मल्लवादी भी सातवें आरे में बौद्धदर्शन के अपोहवाद को ले रहे हैं। यहां एक बात विशेष ध्यान देने योग्य है कि छठवें आरे तक तो द्रव्यार्थिक नय की चर्चा प्रमुख थी किन्तु अब शेष सातवें से बारहवें आरे में पर्यायार्थिक नय की दृष्टि से चर्चा की गयी है। परवर्ती सभी दार्शनिकों ने जहां एक तरफ शब्द नय, समभिरूढ़ नय, तथा एवंभूत नय इन सभी नयों की तुलना वैयाकरणों (व्याकरण दर्शन) के साथ की है वहीं पूरे जैन दार्शनिकों में मल्लवादी ही ऐसे प्रथम व अन्तिम दार्शनिक हैं जिन्होंने इन तीनों नयों में बौद्धदर्शन के ही किसी न किसी वाद को मुख्य बनाया है। जैसे-शब्द नय के अन्तर्गत आठवें और नौवें आरे आते हैं जिसमें आठवें आरे के अन्तर्गत दिङ्गनाग (बौद्ध विद्वान्) के किसी विशिष्ट मत को समाहित किया है और नौवें आरे में अवक्तव्यत्व नाम का ही कोई बौद्ध मत प्रतिपादित किया है। इसी प्रकार समभिरूढ़ नय अर्थात् दसवें आरे में भी कोई बौद्धमत ही लिया है। एवम्भूत नय के अन्तर्गत ग्यारहवें आरे में बौद्धों के ही क्षणिकवाद तथा बारहवें अरे के अन्तर्गत बौद्धों के ही शून्यवाद की स्थापना की है। इस प्रकार नयों के विवेचन में जैनेतर दर्शनों का समावेश करते समय बौद्ध मत के भेद प्रभेदों का विवरण इतने विस्तार से देने वाले मल्लवादी अकेले जैन नैयायिक हैं। __पर्यायार्थिक नय के अन्तर्गत आने वाले सभी ऋजुसूत्र नय, शब्द नय, समभिरूढ़ नय तथा एवंभूत नय को बौद्ध दर्शन के ही किसी न किसी वाद से विशेष रूप से तुलना करने के पीछे कारण मल्लवादी पर आचार्य सिद्धसेन का प्रभाव समझ में आता है। आचार्य सिद्धसेन ने पर्यायास्तिक नय की तुलना बौद्धदर्शन.से की है। 20 इसी कारण मल्लवादी ने भी पर्यायास्तिक नय के अन्तर्गत बौद्धदर्शन की गहराई में जाकर उन्हीं के मत मतान्तरों को नयों में समावेशित करने का प्रयास किया है जो कि मल्लवादी की मौलिक देन है। शब्द, समभिरूढ़ तथा एवंभूत नय की तुलना व्याकरण दर्शन से करने की
SR No.538057
Book TitleAnekant 2004 Book 57 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2004
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size9 MB
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