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वीर सेवा मंदिर भनेकान्त
का त्रैमासिक प्रवर्तक : आ. जुगलकिशोर मुख्तार 'युगवीर'
इस अंक में
वर्ष-57. किरण-3-4 कहाँ/क्या?
जुलाई-दिसम्बर 2004 1. अध्यात्म-पद - कविवर बनारसीदास ।।
सम्पादक : 2. दिगम्बरत्व को कैसे छला जा रहा है -पचन्द्र शास्त्री 2
डॉ. जयकुमार जैन 3. अभीक्ष्ण संवेग में जगत् स्वरूप का चिन्तन
429, पटेल नगर -प्रोफेसर लक्ष्मीचन्द्र जैन 6
मुजफ्फरनगर (उ.प्र.) 4. आचार्य मल्लवादी का नय विषयक चिन्तन
फोन: (0131) 2603730 -डॉ. अनेकान्तकुमार जैन 12 5. विविध श्रावकाचारों में वर्णित गुरु का स्वरूप,
परामर्शदाता : वन्दन एवं उपासनाविधि
-डॉ जयकुमार जैन 21
पं. पद्मचन्द्र शास्त्री । 6. पहाड़ी लघु चित्रशैलियो में शिव-परिवार विषयक चित्र
संस्था की
कु. रूपा जैन 35 7. पदार्थों के यथार्थ ज्ञान से ज्ञान-ध्यान को सार्थक बनावें
आजीवन सदस्यता -डॉ. राजेन्द्रकुमार बसल 45
1100/8. प्राचीन भारत में राजकीय विभाग -डॉ. मुकेश बसल 63 वार्षिक शुल्क 9. श्रमणचर्या का अभिन्न अंग अनियतविहार
30/डॉ. श्रेयासकुमार जैन 75
इस अक का मूल्य 10.ढूंढारी भाषा की एक प्राचीन कृति-होली की कथा
10/-अनूपचन्द न्यायतीर्थ 86 11 मुगल साम्राज्य की अहिंसा इतिहास के पन्नों में
सदस्यों व मंदिरों के -सुरेशचन्द्र बरोलिया 93
लिए निःशुल्क 12.पं. नाथूराम प्रेमी के साहित्य में दलितोत्थान के स्वर
प्रकाशक: -डॉ. सुरेन्द्रकुमार जैन 101 13. पचास वर्ष पूर्व
भारतभूषण जैन, एडवोकेट सत्य अनेकान्तात्मक है -बाबू जयभगवान जैन 107
मुद्रक : 14.जैन दर्शन में वस्तु का अनेकान्तात्मक स्वरूप
मास्टर प्रिन्टर्स-110032
-डॉ. बसन्तलाल जैन 122 विशेष सूचना : विद्वान् लेखक अपने विचारों के लिए स्वतन्त्र हैं। यह आवश्यक नहीं कि सम्पादक उनके विचारों से सहमत हो।
वीर सेवा मंदिर
(जैन दर्शन शोध संस्थान) 21, दरियागंज, नई दिल्ली -110002, दूरभाष : 23250522 | संस्था को दी गई सहायता राशि पर धारा 80-जी के अंतर्गत आयकर में छूट
(रजि. आर 10591/62)