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( 42 ) 'श्रुतमूला नया: सिद्धा: । ' -श्लोकार्तिक 2/1, 6/27 (43) 'नैगमसग्रहव्यवहारर्जुसूत्रशब्दसमभिरूढैवभूता नया: । ( 44 ) तत्त्वार्थसूत्र 1 / 33 की हिन्दी व्याख्या
(45) सर्वार्थसिद्धि 1 / 33 पृ 140
(46) वला पुस्तक खण्ड 1 / भाग 1/ सूत्र 1 / पृष्ठ 1 /गाथा 5
( 47 ) तत्त्वार्थवृत्ति - भास्करनन्दि 1/33 पृ 59
( 48 ) तत्त्वार्थवृत्ति - श्रुतसागरसूरि 1/33 पृ 165
(49) तत्त्वार्थवातिक ( राजवार्तिक) 5/38/3
9/1 3
(54) सर्वार्थसिद्धि 8/21
( 55 ) वही 9 / 36 का विशेषार्थ
अनेकान्त-56/1-2
- तत्त्वार्थसूत्र 1/33
(50) वही, 1/7/5
(51) सर्वार्थसिद्धि 1 / 33 पृष्ठ 146
(52) श्लोकवार्तिक 4/1/13 श्लोक 3-4 पृष्ठ 215
(53) आस्रवनिरोध सवरः । स गुप्ति समितिधर्मानुप्रेक्षापरीषहजयचारित्रेः । तपसा निर्जरा च । - तत्त्वार्थसूत्र
( 56 ) वही 2 / 1
(57) वही 1 / 21
( 58 ) तत्त्वार्थवार्तिक 5/1
रीडर एवं अध्यक्ष - संस्कृत विभाग एस. डी. (पी. जी.) कॉलेज, मुजफ्फरनगर
अहिंसा क्या हैं?
अहिंसा कोई पथ या सम्प्रदाय नही है। अहिंसा एक दृष्टि है। अहिंसा वह धर्म है जो धारण करता है, जो निर्माण और सृजन करता है, जो सात्त्विक सुरक्षा देता है, अभय देता है, मैत्री और क्षमा देता है। अहिसा हिंसा के अभाव से कही अधिक गहरी और समुन्नत एक अवधारणा है, जो सम्यक, दर्शन, ज्ञान और चरित्र को जगत् से एव जीवमात्र से जोड़ता है। अनेकांत की सहिष्णुता है, मनुष्यता का सविधान है।
- लक्ष्मीमल सिधवी