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अनेकान्त-56/1-2
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हेतु
हेतु
सन्दर्भ: (1) तत्त्वार्थसूत्र, 1/6, (2) न्यायदीपिका, पृ. 4, (3) वही, पृष्ठ 5, (4) वही, पृष्ठ 5 पर टिप्पणी, (5) तत्त्वार्थसूत्र, 1/9. (6) वही, 1/31, (7) कषायपाहुड, पुस्तक 1 भाग 1 प्रकरण 1/27 पृष्ठ 37. (8) तत्त्वार्थसूत्र 1/10, (9) सर्वार्थसिद्धि 1/10 पृष्ठ 98, (10) तत्त्वार्थवार्तिक (राजवार्तिक) 1/10 पृष्ठ 49, (11) तत्त्वार्थवृत्ति - श्रुतसागरसूरि सूत्र 1/31 की वृत्ति
तत्त्वार्थवृत्ति -- भास्करनन्दि सूत्र 1/31 की वृत्ति (12) सभाष्यतत्त्वार्थाधिगमसूत्र 1/32 (मतिश्रुतावधयो विपर्ययश्च) का भाष्य (13) सदसतोरविशेषाद् यदृच्छोपलब्धेरुन्मत्तवत्। तत्त्वार्थसूत्र 1/32 (14) द्रष्टव्य - (क) मुक्त जीव की ऊर्ध्वगमन सिद्धि पक्ष (प्रतिज्ञा) - तदनन्तरमूर्ध्व गच्छत्यालोकान्तात्।
- पूर्वप्रयोगादसगत्वाद्बन्धच्छेदात्तथागतिपरिणामाच्च। उदाहरण - आविद्धकुलालचक्रवद्व्यपगलेपा लाम्बुवदेरण्डबीजवदग्निशिखावच्च। (ख) जीवो की सम्पूर्ण लोकाकाश तक में अवगाह की सिद्धि पक्ष (प्रतिज्ञा) .. असख्येयभागादिषु जीवानाम्।
प्रदीपसहारविसर्पाभ्याम् उदाहरण - प्रदीपवत्। -तत्त्वार्थसूत्र 5/15-16 (15) तत्प्रमाणे। आद्ये परोक्षम्। प्रत्यक्षमन्यत्। -तत्त्वार्थसूत्र 1/10-12 (16) तत्त्वार्थाधिगमभाष्य 1/2 पृष्ठ 35, (17) सर्वार्थसिद्धि, 1/16 पृष्ठ 20, (18) वही (19) तत्त्वार्थवार्तिक (राजवार्तिक) 1/16 पृष्ठ 33, (20) 'तत्र स्वार्थ प्रमाण श्रुतवय॑म्। श्रुत पुनः स्वार्थ भवति परार्थ च।' -सर्वार्थसिद्धि 1/6 पृष्ठ 20, (21) तत्त्वार्थवार्तिक 1/20/15 पृष्ठ 78 (22) आलापपद्धति, 9, (23) तिलोयपण्णत्ती 1/83, (24) श्लोकवार्तिक 3/1, 10/38 (25) वही, 3/1, 10/39, (26) प्रमाणत्वाप्रमाणत्वे स्वतः साख्या: समाश्रिताः। -सर्वदर्शनसंग्रह, साख्य प्रकरण. (27) न्यायमञ्जरी भाग 1 पृष्ठ 160-174, (28) द्रष्टव्य - सर्वदर्शनसग्रह, बौद्ध प्रकरण, (29) तत्त्वसग्रह, कारिका 3/23. (30) न्यायमञ्जरी, पृष्ठ 160-174, (31) प्रमाणमीमासा 1/1/8, (32) श्लोकवार्तिक 3/1/10/126-127 (33) सर्वार्थसिद्धि 1/10 पृष्ठ 97. (34) वही 1/10 पृष्ठ 97 तथा तत्त्वार्थवार्तिक 1/10/16-22 (35) सर्वार्थसिद्धि 1/6 पृष्ठ 20, (36) तत्त्वार्थाधिगमभाष्य 1/35 (37) 'णयो वि णादुस्स हिदिय भावत्थो।' . तिलोयपण्णत्ती 1/83
'ज्ञातुरभिप्रायो वा नय:।' . आलापपद्धति 9 'ज्ञातुरभिप्रायो नयः।
__ - प्रमेय कमलमार्तण्ड पृष्ठ 676 (38) 'वस्तुन्यनेकान्तात्मयविरोधेन हेत्वर्पणात्साविशेषस्य याथात्म्यप्रापणप्रवणः प्रयोगो नयः।' -सर्वार्थसिद्धि 1/33 पृ. 140 (39) 'स्वार्थैकदेशानिर्णीतिलक्षणो हि नयः स्मृतः।' -श्लोकवार्तिक 2/1, 6/17 (40) तत्त्वार्थवार्तिक 1/33/1 पृष्ठ 94, (41) सर्वार्थसिद्धि 1/6 पृष्ठ 20