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________________ अनेकान्त-56/1-2 - का इतिहास लिखना क्यो आवश्यक था, इसे हम उन्ही के शब्दो में देखते हैं___ "भारत के अनेक विश्वविद्यालयों में प्राकृत का पठन-पाठन हो रहा है, लेकिन उसका जैसा चाहिए वैसा आलोचनात्मक क्रमबद्ध अध्ययन अभी तक नहीं हुआ। भारत के अनेक सुयोग्य विद्वान इस दिशा मे श्लाघनीय प्रयत्न कर रहे हैं, जिसके फलस्वरूप अनेक सास्कृतिक और ऐतिहासिक महत्वपूर्ण उपयोगी ग्रन्थ प्रकाश में आये है। लेकिन जैसा ठोस कार्य संस्कृत साहित्य के क्षेत्र मे हुआ है वैसा प्राकृत साहित्य के क्षेत्र में अभी तक नही हुआ। इस दृष्टि से प्राकृत साहित्य के इतिहास को क्रमबद्ध प्रस्तुत करने का यह सर्वप्रथम प्रयास है।" (प्राकृत साहित्य का इतिहास, भूमिका, पृ.-1) उक्त ग्रन्थ ग्यारह अध्यायों में विभक्त है। पहले अध्याय में भाषाओ का वर्गीकरण करते हुए लेखक ने प्राकृत का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया है। दूसरे अध्याय मे अर्धमागधी जैन आगम साहित्य के बारह अगो, बारह उपांगो, प्रकीर्णकों, छेदसूत्रो तथा मूलसूत्रो का समीक्षात्मक विवरण है। तीसरे अध्याय में आगम साहित्य पर रचित नियुक्तियो, भाष्यो, पूर्णियो और टीकाओ का परिचय दिया गया है। चौथे अध्याय में शौरसेनी प्राकृत के आगम एव आगमेतर साहित्य का वर्णन है। पाँचवें अध्याय मे आगमोत्तर कालीन जैनधर्म सम्बन्धी साहित्य को सामान्य ग्रन्थ, दर्शन-खंडन-मंडन, सिद्धात, कर्म सिद्धात, श्रावकाचार, प्रकरण-ग्रन्थ, सामाचारी, विधि-विधान आदि शीर्षकों में विभाजित करके उनका समीक्षात्मक विवरण दिया गया है। छठे अध्याय में कथाओ का महत्व प्रतिपादित करते हुए लेखक ने लगभग पैतीस कथा ग्रन्थों का परिचय प्रस्तुत किया है। इसी अध्याय में औपदेशिक कथा-साहित्य को पृथक् शीर्षक देकर समाहित किया गया है। सातवें अध्याय मे प्राकृत के चरित ग्रन्थों और स्तुति-स्तोत्र साहित्य का विवरण है। आठवें अध्याय में प्राकृत काव्य साहित्य के उन्नीस ग्रन्थों का परिचय कराया गया है। नौवें अध्याय में संस्कृत नाटकों में उपलब्ध प्राकृतों तथा प्राकृत में रचित छह सट्टकों का परिचय है। दसवे अध्याय में प्राकृत के व्याकरणों, छन्दशास्त्र के ग्रन्थों, कोश तथा संस्कृत के अलंकारशास्त्र के ग्रन्थों में प्राप्त होने वाली प्राकृत का समीक्षात्मक विवरण
SR No.538056
Book TitleAnekant 2003 Book 56 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2003
Total Pages264
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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