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________________ अनेकान्त-56/3-4 शद्धि वाला तथा प्रातः मध्याह्न और सायंकाल तीनों संध्याओं में वन्दना करने वाला होता है।24 महापुराणकार आचार्य जिनसेन ने सामायिक के स्थान पर सकता शब्द का प्रयोग किया है तथा श्री सोमदेव ने पूजा पर विशेष जोर देते हुए अर्चा शब्द का प्रयोग किया है। सामायिक नामक इस तीसरी प्रतिमा में सामायिक नामक शिक्षाव्रत की पूर्णता तथा उसका निरतिचार परिपालन आवश्यक है। दूसरी प्रतिमा में सामायिक एक शिक्षाव्रत के रूप में थी, इसमें कालिक बन्धन भी नही था। तीसरी प्रतिमा में सामायिक तीनों सन्ध्याओं में आवश्यक मानी गई है। सामायिक का जघन्य काल 2घड़ी (48 मिनट या/मुहूर्त) तथा उत्कृष्ट काल 6घड़ी (2 धण्टा 24 मिनट या 3 मुहूर्त) माना गया है। समन्तभद्राचार्य ने तीसरी प्रतिमाधारी को यथाजात रूप धारण कर सामायिक करने का निर्देश किया है। चामुण्डराय एवं वामदेव ने भी ऐसा ही उल्लेख किया है। इससे स्पष्ट होता है कि तीसरी प्रतिमाधारी को सामायिक एकान्त में नग्न होकर करने की परिपाटी रही है। 4. प्रोषधोपवास प्रतिमा - जिस प्रकार प्रथम शिक्षाव्रत सामायिक के आधार पर तीसरी प्रतिमा अवलम्बित थी, उसी प्रकार प्रोषधोपवास नामक द्वितीय शिक्षाव्रत के आधार पर यह चौथी प्रतिमा अवलम्बित है। जो श्रावक माह के चारों पर्व (अष्टमी एवं चतुर्दशी) के दिनों में यथाशक्ति धर्मध्यान में तत्पर होकर एकाशनपूर्वक उपवास करता है, वह प्रोषधोपवास प्रतिमा का धारी श्रावक है।28 प्रोषध शब्द का अर्थ समन्तभद्राचार्य ने सकृद्भुक्ति अर्थात् एकाशन किया है। उपवास के दिन श्रावक को सब आरंभ त्यागकर मुनि के समान दिन-रात धर्मध्यान करना चाहिए। इस चौथी प्रतिमा में नियत समय तक प्रोषधोवास का निरतिचार परिपालन आवश्यक माना गया है। ___ शिक्षाव्रत के अन्तर्गत प्रोषधोपवास अभ्यास रूप था किन्तु चौथी प्रतिमा में पालन अनिवार्य है। स्वामी कार्तिकेय ने शिक्षाव्रत में उपवास की शक्ति न होने पर एक बार नीरस आहार लेने की छूट दी है, पर प्रतिमा में नहीं। आचार्य वसुनन्दी ने चौथी प्रतिमा के स्वरूप में उत्तम, मध्यम एवं जघन्य रूप से 16,12 और 8 प्रहर के उपवास का हीनाधिक शक्ति वाले श्रावकों को विधान किया हे परन्तु शेष सभी ने 16 प्रहर का उपवास आवश्यक माना है।
SR No.538056
Book TitleAnekant 2003 Book 56 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2003
Total Pages264
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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