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________________ अनेकान्त-56/3-4 रूप से कहना असम्भव है। मुनि कान्तिसागर ने जैन साहित्य में वर्णित आर्द्र-कुमार की कथा का उल्लेख किया हैं। जिसमें वर्णित है कि वह अनार्य देश का निवासी था। मगध के राजवंश के साथ उसकी गहरी मित्रता थी। अभय कुमार ने उन्हें "जिन' प्रतिमा भिजवायी थी, बाद मे वह भारत आया और भगवान महावीर के पास आकर श्रमण-दीक्षा ग्रहण की। इस सम्बन्ध में प्रभास पटल से डा. प्राणनाथ विद्यालंकार द्वारा प्राप्त नाम पत्र विशेष उल्लेखनीय हैं। जिसमे लिखा है कि बेबीलोन के राजा नेबूचन्दबेजार ने रेवतगिरि के नेमिनाथ मन्दिर का जीर्णोद्धार कराया था, उन दिनों सौराष्ट्र आन्तिरिक और बाह्य व्यापार का केन्द्र था। सम्भावना है कि विदेशी शासन यही से आया हो और अपने द्वारा पूर्व प्रेषित “जिन" प्रतिमा के संस्कार के कारण जीर्णोद्वार कराया हो। ___मनि कान्तिसागर ने प्राचीन जैन साहित्य में उपलब्ध विवरणों के आधार पर बतलाया है कि मगध के शासक शिशुनाग और नन्दराजा जैन धर्म के उपासक थे। नन्दराजा भगवान पार्श्वनाथ की अर्चना करते थे। भगवान महावीर ग्रहस्थावास में जब भावमुक्त थे और राजमहल में कायोत्सर्ग में मुद्रा में खड़े थे, उस समय के भावों को व्यक्त करने वाली गोशीर्ष चन्दन की प्रतिमा बिद्युन्माली देव द्वारा निर्मित हयी एवं राज महिर्षी प्रभावती द्वारा पूजी जाती रही। तित्थोगाली पइन्नय से ज्ञात होता है कि नन्द राजाओं ने पाटलिपुत्र में पाँच जैन स्तूपों का निर्माण करवाया था। युआन्च्युआड ने भी अपनी यात्रा विवरण में इन पाँचों स्तूपो का उल्लेख किया है। और बताया कि किसी आबोध राजा द्वारा वे ध्वस्त कर दिये गये। इससे यह स्पष्ट होता है कि "जिन' उपासना और प्रतिमाओं की पूजा 5 वीं ईसा पूर्व में प्रचलित थी। उदयगिरि की हाथी गुम्फा नामक गुफा में ई. पू. की प्राकृत भाषा में लिखित एक सुविस्तृत लेख प्राप्त हुआ है। जिसमें कलिंग सम्राट खारवेल के बाल्काल व शासनकाल के तेरह वर्षो का चरित्र वर्णित है। यह लेख अरहंतो व सर्व-सिद्धों के नमस्कार (नमो अरहंतानं, नमो सब सिधानं) के साथ प्रारम्भ हुआ है और उसकी 12 वीं पक्ति में स्पष्ट उल्लेख है कि उसने अपने शासन काल के 12 वे वर्ष में मगध पर आक्रमण कर वहां के राजा ब्रहस्पतिमित्र को
SR No.538056
Book TitleAnekant 2003 Book 56 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2003
Total Pages264
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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