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अनेकान्त/55/3
सेसई का शान्तिनाथ मन्दिर - श्री नरेशकुमार पाठक 47:2 संग्रहालय कुण्डेश्वर की प्रतिमायें -श्री रामनरेश पाठक 50:2 सुप्रीम कोर्ट ने श्वेताम्बरों की शिखरजी सम्बन्धी याचिका खारिज की। 50:3 सोनगढ साहित्य -समयसार का अर्थ विपर्यय -पं. नाथूलाल शास्त्री 503 सम्मेद शिखर विषयक साहित्य -डॉ. ऋषभचन्द फौजदार 51:4 समसामयिक संदर्भो में मुख्तार सा. की कालजयी दृष्टि -डॉ. सुरेशचन्द्र जैन 51:4 सम्राट रामगुप्त जैनधर्म अनुयायी था। - श्री कुंदनलाल जैन 36:4 साहू शान्ति प्रसाद समृति अंक 31:3, 4 संग्रहालय ऊन में संरक्षित जैन प्रतिमाएं 353
हमारा प्राचीन विस्मृत वैभव -पं. दरबारी लाल जी न्यायाचार्य 14/30 हमारी तीर्थयात्रा के संस्मरण -पं. परमानन्द शास्त्री 12/24,12/36,12/89 12/163,12/188,12/235,12/276,12/319 हरिभद्र द्वारा उल्लिखित नगर -डा. नेमिचन्द जैन 14/41 हस्तिनापुर का बड़ा जैन मन्दिर -परमानन्द जैन 13/204 हूंबड या हूमंड वंश तथा उसके महत्त्वपूर्ण कार्य -परमानन्द जैन शास्त्री 13/123 होयसल नरेश विष्णुवर्धन और जैनधर्म -पं. के. भुजबली 17/242 हड़प्पा तथा जैनग्रन्थ-टी.एन.रामचन्द्रन 24:4 हुंबड़ जैन जाति की उत्पत्ति एवं प्राचीन जनगणना 33:2
हड़प्पा और जैनधर्म -टी.एन. रामचन्द्रन त्रिचूरी की कलचुरी कालीन जैन प्रतिमायें अनुवादक -बा. जयभगवान जी एडवोकेट 14/157 -कस्तूरचंद सुमन - 24:1
उतार-चढ़ाव और आर्थिक एवं सामाजिक उदासीनता के चक्र में भी गौरव पूर्ण उद्देश्यों के प्रति समर्पित यह पत्रिका अपने अवदानों के लिए जैन इतिहास, सिद्धान्त, साहित्य, समीक्षा, सामयिक, कविता एवं मूलभाषा सम्बन्ध आलेखों का एक सशक्त जीवन्त दस्तावेज है, जिसे आ. जुगलकिशोर मुख्तार, पं. परमानन्द शास्त्री, श्री भगवत स्वरूप भगवत्, श्री अगरचन्द्र नाहटा, डॉ. दरवारी लाल कोठिया, श्री अयोध्या प्रसाद गोपलीय, डॉ. ज्योतिप्रसाद जैन, पं. हीरालाल सिद्धान्त शास्त्री, पं. नाथूराम प्रेमी, पं. पद्मचन्द्र शास्त्री जैसे विद्वानों ने बेवाक होकर तैयार किया है। पं. पद्मचन्द्र शास्त्री ने तो विगत 30 वर्षों में अनेकान्त में प्राकृत विषयक जो सामग्री प्रस्तुत की है वह जैन साहित्येतिहास के लिए भविष्य में मार्गदर्शक सिद्ध होगी।
तात्पर्य यह है कि अनेकान्त में इतिहास-पुरातत्त्व के आलेखों के साथ ही मूल आगम ग्रन्थ सम्पादन तथा आगम भाषा विषयक सामग्री का भी प्रचुरमात्रा