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________________ ऋषभ नगर (मरसलगंज) का जैन मन्दिर -सुरेशचन्द्र जैन बारोलिया अनेकों वैभवपूर्ण, चमत्कारी गाथाओं से घिरी हुई उत्तर प्रदेश की प्रमुख सुहागनगरी फिरोजाबाद से 21 किलोमीटर दूर श्री दि0 जैन अतिशय क्षेत्र ऋषभ नगर, मरसलगंज जहां हजारों की संख्या में दुखी मानव जीवन की मनोकामनाओं की पूर्ति और परिणामों में शान्ति प्राप्ति के लिए आते रहे हैं। दुखः के इस वातावरण में जब कि प्रत्येक बन्धु किसी न किसी रूप से दुखी है उसी दुखी वातावरण में शान्ति प्रदान करने के लिये ये मन्दिर दुखी मानव की शरणस्थली है। इस महामनोहर प्राचीन क्षेत्र का ऐसा अतिशय है कि यहां के भव्य जिनालय में प्रवेश करते ही प्रत्येक यात्री को शान्ति एवं निराकुलता का अनुभव होता है तथा अनेकों शुभ संकल्प पूर्ण होते हैं। ऋषभनगर के इस महान् अतिशय चमत्कारी जैन मन्दिर में दिगम्बरत्व के महान सन्तों के पावन चरण पड़े बिना नही रह सके जिनमें सन् 1957 में चरित्र चक्रवर्ती आचार्य शान्ति सागर जी (दक्षिण) प्रमुख है। उनकी स्मृति में यहां शिखर युक्त स्मारक सुन्दर तालाब-बगीचे आदि का निर्माण हुआ। 18 भाषा-भाषी आचार्य महावीर कीर्ति जी, सन्मार्ग दिवाकर आचार्य विमलसागर जी, अर्यिकारत्न विशुद्धमति माताजी, बालाचार्य नेमीसागर जी, बालयोगी मुनि अमित सागर जी आदि अनेकों सन्तो ने इसे भूमि से चरण को स्पर्श कर अपने को धन्य किया है। इन सन्तों ने इस तीर्थं को महान् चमत्कारी एवं त्यागियों के ध्यान करने योग्य बताया है। मन्दिर के निर्माण एवं प्रतिष्ठा की अनेकों चमत्कारी घटनाएँ है। ईसा की पन्द्रहवीं सदी में दक्षिण दिशा वासी गौड विप्रवर्ण दिगम्बर जैन धर्मालम्बी तथा अनेकों मंत्र-तन्त्र के ज्ञाता पूज्य बाबा 105 श्री ऋषभदास जी का यकायक विहार करते हुये इस पुण्यभूमि पर शुभागमन हुआ बाबा केवल एक चद्दर व
SR No.538055
Book TitleAnekant 2002 Book 55 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2002
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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