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________________ वीर सेवा मंदिर अनेकान्त त्रैमासिक प्रवर्त्तकं : आ. जुगलकिशोर मुख्तार 'युगवीर' इस अंक में कहाँ / क्या? 1. गुरु समान दाता नहिं कोई कविवर द्यानतराय - डॉ. जयकुमार जैन 2. जैनधर्म की प्राचीनता 3. आर्षमार्ग पं. जवाहरलाल जैन 4. आदिपुराण में प्रतिपादित ध्यान के भेद-प्रभेद 10 - डॉ. श्रेयास कुमार जैन 5. जैन श्रमणाचार और ध्यान डॉ. अशोक कुमार जैन 6. अपरिग्रह से द्वन्द्व विसर्जन : समतावादी समाज-रचना डॉ. सुषमा अरोरा 7. संयम : एक प्रायोगिक साधना श्री विनोद कुमार जैन 87. पं. पन्नालाल जी साहित्याचार्य के कतिपय प्रेरक सस्मरण ब्र. विवेक जैन 'विचार' 9. आर्यिकाए और नवधा भक्ति जस्टिस एम. एल. जैन 10. भारतवर्ष और भरत - - 1 कैलाश वाजपेयी 2 6 25 31 42 47 50 62 वर्ष - 54, किरण-2 अप्रैल-जून 2001 सम्पादक : डॉ. जयकुमार जैन 261/3, पटेल नगर मुजफ्फरनगर (उ. प्र. ) फोन : (0131) 603730 परामर्शदाता : पं. पद्मचन्द्र शास्त्री सस्था की आजीवन सदस्यता 1100/ वार्षिक शुल्क 15/ इस अक का मृल्य 5/ सदस्यों व मंदिरो कं लिए नि:शुल्क प्रकाशक भारतभूषण जैन, एडवोकेट मुद्रक मास्टर प्रिन्टर्स- 110032 विशेष सूचना : विद्वान् लेखक अपने विचारों के लिए स्वतन्त्र है। यह आवश्यक नही कि सम्पादक उनके विचारों से सहमत हो । इसमें प्राय: विज्ञापन एवं समाचार नही लिए जाते। वीर सेवा मंदिर 21, दरियागंज, नई दिल्ली- 110002, दूरभाष : 3250522 सस्था को दी गई सहायता राशि पर धारा 80 जी के अतर्गत आयकर में छूट (रजि आर 10591/62)
SR No.538054
Book TitleAnekant 2001 Book 54 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2001
Total Pages271
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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