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________________ 44 अनेकान्त/54-1 90050cccmamacacacacacaDOCOCOCOGOcs मूल और उत्तर कर्म प्रकृतियों का अनुभाग की अपेक्षा ही वस्तुतः घाति' और अघातिरूप से विभाजन है। घातिकर्म-सर्वघाति और देशघाति दो भेद रूप हैं। पर्ण रूप से गणों को घात करने वाला अनुभाग या कर्म प्रकृतियां सर्वघाति हैं। सर्वघातिकर्म प्रकृतियां आत्मशक्ति के एक अंश को भी प्रकट नहीं होने देती हैं। आचार्य नेमिचन्द्र सिद्धान्तचक्रवर्ती इनकी संख्या बतलाते हुए लिखते हैं - केवल णाणावरणं दंसणछक्कं कसायवारसयं। मिच्छं च सव्वघादी सम्मामिच्छं अबंधम्हि॥ गो.क.गा. 32 केवलज्ञानावरण, दर्शनावरण की छह, कषाय बारह, एवं मिथ्यात्व ये 20 प्रकृति बन्ध की अपेक्षा सर्वघाति है। यहाँ इतना विशेष है कि सम्यग्मिथ्यात्व प्रकृति किचित् सर्वघाति तो है किन्तु बन्ध योग्य नहीं है, उदय और सत्व में जात्यन्तर रूप से सर्वघाति है। अत: उदय और सत्व की अपेक्षा इक्कीस प्रकृतियां सर्वघाति हैं। एक देश रूप से गुणों का घात करने वाले हीन शक्ति युक्त अनुभाग (कर्मप्रकृतियों) को देशघाति कहा जाता है। देशघाति कर्मप्रकृतियां आत्मा के आंशिक रूप को प्रगट होने देती हैं अर्थात् आत्मा की आंशिक प्रगटता में बाधक नहीं होती हैं। ये प्रकृतियां संख्या में छब्बीस बतायी गयी हैं अर्थात् मति-श्रुत-अवधि, मन पर्ययज्ञानावरण की चार, दर्शनावरण की चक्षु, अचक्षु, अवधि तीन, सम्यक्त्व प्रकृति दर्शनमोह सम्बन्धी एक सज्वलन कषाय रूप क्रोध, मान, माय, लोभ, हास्य रति, अरति, शोक, भय, जुगुप्सा, स्त्रीवेद, पुंवेद, नपुंसकवेद ये चारित्रमोहनीय की तेरह और अन्तराय की दान, लाभ, भोग, उपभोग, वीर्य ये पांच। इस प्रकार ये सभी 26 प्रकृतियां देशघाती हैं। उक्त सर्वघाति और देशघाति सभी प्रकृतियां अप्रशस्त रूप ही होती हैं। अर्थात् से सभी पाप प्रकृतियां हैं। इनके स्थान चार प्रकार के बतलाये गये हैं-एक स्थानीय, द्वि स्थानीय, त्रि स्थानीय और चतुः स्थानीय। जिसमें लता के समान लचीला अति अल्प फलदान शक्ति युक्त अनुभाग पाया जाता है, वह एक स्थानीय अनुभाग कहलाता है। जिसमें दारु (काण्ठ) के समान कुछ सघन और कठिन फलदान शक्तियुक्त अनुभाग
SR No.538054
Book TitleAnekant 2001 Book 54 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2001
Total Pages271
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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