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________________ 16 अनेकान्त/54/3-4 वैशाली - गणतन्त्र श्री राजमल जैन 25 वर्ष पूर्व अनेकान्त वर्ष 28 अंक में प्रकाशित महत्त्वपूर्ण आलेख, जिसमें वैशाली गणतन्त्र के विषय में शोधपूर्ण जानकारियाँ दी गईं हैं भगवान महावीर के 2600 वें जन्म जयन्ती महोत्सव वर्ष के प्रसंग से पुनः प्रकाशित । सम्पादक वैशाली - गणतन्त्र के वर्णन के बिना जैन राजशास्त्र का इतिहास अपूर्ण ही रहेगा । वैशाली - गणतन्त्र के निर्वाचित राष्ट्रपति ('राजा' शब्द से प्रसिद्ध ) चेटक की पुत्री त्रिशला भगवान् महावीर की पूज्य माता थी। (श्वेताम्बर - परम्परा के अनुसार, त्रिशला चेटक की बहन थीं) भगवान् महावीर के पिता सिद्धार्थ वैशाली के एक उपनगर 'कुण्डग्राम' के शासक थे। अतः महावीर भी 'वैशालिक' अथवा 'वैशालीय' के नाम से प्रसिद्ध थे। भगवान महावीर ने संसार - त्याग के पश्चात् 42 वातुर्मासों में से छ: चातुर्मास वैशाली में किये थे। कल्प - सूत्र (122) के अनुसार महावीर ने बारह चातुर्मास वैशाली में व्यतीत किये थे। महात्मा बुद्ध एवं वैशाली : इसका यह तात्पर्य नहीं कि केवल महावीर को ही वैशाली प्रिय थी। इस गणतन्त्र तथा नगर के प्रति महात्मा बुद्ध का भी अधिक स्नेह था। उन्होंने कई बार वैशाली में विहार किया था तथा चातुर्मास बिताए । निर्वाण से पूर्व जब बुद्ध इस नगर में से गुजरे तो उन्होंने पीछे मुड़ कर वैशाली पर दृष्टिपात किया और अपने शिष्य आनन्द से कहा, आनन्द ! इस नगर में यह मेरी अन्तिम यात्रा होगी।” यहीं पर उन्होंने सर्वप्रथम भिक्षुणी- संघ की स्थापना की तथा आनन्द के अनुरोध पर गौतमी को अपने संघ में प्रविष्ट किया। एक अवसर पर जब 44
SR No.538054
Book TitleAnekant 2001 Book 54 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2001
Total Pages271
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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