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अनेकान्त/54-1
का तम्बू का फैलाव प्रारम्भ कर दिया है और उनकी यह गर्वोक्ति भी है कि आगामी 10 वर्ष में सम्पूर्ण दिल्ली में कहान मत का वर्चस्व होगा। इसमें दो राय नहीं कि - ___ - दिगम्बर जैन महासभा, दि. जैन महासमिति विद्वत् परिषद्, शास्त्री परिषद् आदि के विरोध के बावजूद कहानपंथ ने अपना विस्तार किया है, फिर भी अब तक उन्हें समाज का भय होता था, परन्तु अब तो समाज ही उन्हें सिर आंखों पर बैठाने को पलक पांवड़े बिछाकर तैयार बैठी दिखती है। समाज की विडम्बना ही है कि धार्मिक अनुष्ठानों के आडम्बर पूर्ण आयोजन में व्यय तो उसे सह्य है, परन्तु परम्परागत विद्वान् को देना असह्य रहता है और इस मनोवृत्ति का सोनगढ़ मिशन के संचालक प्रतिनिधि ने पूरा लाभ उठाया है। अर्थाभाव तो है नहीं सो उनके पण्डित/प्रवचनकार नि:शुल्क सेवायें देकर समाज के लिए श्रद्धास्पद बन जाते हैं। यद्यपि उनका वित्त-पोषण ट्रस्ट के माध्यम से हो जाता है। भले ही, इसकी आड़ में लाखों का कहान साहित्य आपको परोसकर चले जायें। इस पर गम्भीर चिन्तन की आवश्यकता है।
इसके अतिरिक्त इस तथाकथित चौथे सम्प्रदाय के विषय में मेरठ सेसन जज का निर्णय द्रष्टव्य है जिसमें मान्य किया है कि "कांजी स्वामी दिगम्बर मनि भी नहीं थे।" अतः स्पष्ट है कि कांजीपंथी दिगम्बर जैनधर्मी नहीं हैं।
जहाँ दिगम्बर जैन समाज की सभी शीर्षस्थ संस्थाओं ने कहान परम्परा को नकारा हो, विद्वत्समुदाय ने उसके कृत्यों को आगम परम्परा विरोधी घोषित किया हो और आचार्यों ने पूरी तरह अस्वीकृत कर दिया हो, वहीं भ्रमित जैन समाज के कतिपय कर्णधारों ने भगवान् महावीर '2600वें जन्म महोत्सव के प्रसंग में उस सोनगढ़ मिशन के प्रतिनिधि का सम्मान करने का निश्चय किया है। वह भी दिगम्बर जैन साधु सान्निध्य में उस सार्वजनिक मंच से, जिसकी एक सशक्त और प्रशस्त परम्परा रही हो।
उक्त मंच से भारिल्ल साहब का सम्मान होने का संकेत प्राप्त कर आश्चर्य हो रहा है। कभी इस मंच की ओर दिल्ली की दिगम्बर जैन